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राजस्थान कांग्रेस में सालभर परदे के पीछे चलता रहा शह-मात का खेल

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जयपुरः साल 2020 में राजनीतिक उठापटक के बाद सचिन पायलट और उनके सहयोगियों ने पद गंवा दिए थे, तब कैबिनेट विस्तार के समय सवाल हवाओं में तैरने लगे कि क्या सचिन पायलट कैंप के लोगों को कुछ मिलेगा? साल 2021 की शुरुआत में पायलट सहयोगी नेताओं को पद भी मिले। बिना कार्यकारिणी के काम कर रहे प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को 7 जनवरी 2021 को 39 लोगों की टीम मिली। इन 39 में विधायक वेद सोलंकी, राकेश पारीक, जीआर खटाना, राजेंद्र चौधरी, महेंद्र सिंह खेड़ी, शोभा सोलंकी, ललित यादव, प्रशांत शर्मा, राखी गौतम सचिन पायलट गुट के 9 नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया, वहीं गहलोत के खाते में 30 पदाधिकारी आए।

उपचुनावों में पायलट को रखा गहलोत ने साथ
राजस्थान में चाहे अप्रैल में सहाड़ा, सुजानगढ़ और राजसमंद के उपचुनाव हों या फिर अक्टूबर में हुए धरियावद और वल्लभनगर के उपचुनाव, दोनों जगह ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट एक ही हेलिकॉप्टर में नामांकन रैली में शामिल हुए। कार की ड्राइविंग सीट की कमान संभालते और सीएम को पायलट के बगल में बैठकर सफर करते देखना राजनीतिक पंडितों के लिए अप्रत्याशित रहा।

जून में पायलट ने फिर से उठाई मांग
संगठन में पायलट कैंप के नेताओं को स्थान तो मिला, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ था। पद से हटे बागी मंत्रियों को दोबारा कोई पद नहीं दिया गया था और न ही पायलट को कोई विशेष जिम्मेदारी से नवाजा गया था। ऐसे में जून 2021 में सचिन पायलट ने फिर अपनी आवाज उठाई। दिल्ली दरबार में गुहार लगाई और पंजाब का हवाला दे मरुभूमि की बात बताई। पायलट ने कहा था कि जब पंजाब के लिए बनी कमेटी की सुनवाई कुछ महीनों में पूरी हो सकती है तो राजस्थान के मसलों को सुनने के लिए बनी कमेटी अब तक कोई निर्णय क्यों नहीं कर पा रही है? सियासत में बिन कहे बहुत कुछ कह देने में ही बड़े संकेत छिपे होते हैं। ऐसे में कांग्रेस में हलचल पैदा हो गई।

आलाकमान से मिले पायलट
पायलट के आवाज उठाने का असर रहा कि कांग्रेस आलाकमान सक्रिय हुआ। सितंबर में एक के बाद एक कर पायलट की प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात हुई। दिल्ली से राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर खाका तैयार कर लिया गया। प्रदेश प्रभारी अजय माकन, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस के अन्य पदाधिकारी कैबिनेट विस्तार की बात छिपे-ढके अंदाज में कहते रहे। इस बीच सोनिया गांधी के साथ मुलाकातों का दौर भी जारी रहा। फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आलाकमान से मिले। दोनों के बीच लम्बी बातचीत हुई और इस बैठक के बाद ही कैबिनेट विस्तार पर मुहर लगी। लम्बे इंतजार के बाद आखिर 21 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट का विस्तार कर दिया। इसमें पायलट ने अपने 5 विधायकों को मंत्री बनवाया, जिनमें रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह भी शामिल रहे। ये वही नेता थे, जिन्हें सचिन पायलट के साथ जुलाई 2020 में बर्खास्त कर दिया गया था। खास बात यह रही कि भले ही पायलट कैंप के रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह और विजेंद्र ओला मंत्री बने हों, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने किसी मंत्री को ड्रॉप नहीं होने दिया।

गहलोत की 80 वाली बात से फिर मची हलचल
कैबिनेट विस्तार के बाद लगने लगा कि अब कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कैबिनेट विस्तार के बाद पहले कांग्रेस मुख्यालय पर हुई बैठक और फिर उसके बाद मुख्यमंत्री आवास पर हुई अजय माकन और केसी वेणुगोपाल के सामने ही अनौपचारिक बैठक में गहलोत जो कह गए, वो माथे में त्योरियां चढ़ाने के लिए काफी था। सीएम के वार पर तुरंत पलटवार भी हुआ। सीएम पायलट कैंप के विधायकों का नाम लेकर यह कह गए कि 19 लोग तो चले गए थे, सरकार तो 80 कांग्रेस, निर्दलीयों और 6 बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के कारण बची थी। नहीं तो न आज सरकार होती और न हम मंत्रिमंडल की बैठक कर रहे होते। हालांकि इस बैठक में हंसते हुए ही सही लेकिन पायलट कैंप के मंत्री मुरारी लाल मीणा ने भी यह कह दिया कि अब तो बार-बार ऐसी बातें करना बंद कर दीजिए मुख्यमंत्री।

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महंगाई हटाओ रैली में पायलट को मिला स्थान
12 दिसंबर को जयपुर में हुई महंगाई के खिलाफ रैली में सचिन पायलट एकमात्र वह नेता रहे जो किसी पद पर न होने के बावजूद भी मुख्य मंच पर भी बैठे और भाषण भी दिया। संकेत देने के लिए इतना ही काफी था। सियासी संदेश यह कि पायलट की उड़ान अभी खत्म नहीं हुई है, पंख मजबूत हैं और जान अभी बाकी है। भले ही पायलट कैंप के लोगों को संगठन और सत्ता में भागीदारी राजस्थान में मिल गई हो, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि साल 2021 में भी सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी में कोई पद नहीं मिला है। इसे पायलट का पार्टी के प्रति समर्पण कहा जाए, जिद या फिर राजस्थान न छोडने की दृढ़ इच्छा, लेकिन वो फिलहाल राजस्थान कांग्रेस की एक धुरी बने हुए हैं। तुम डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर विभिन्न मंचों से कटाक्ष या मैसेज प्रेषित करने का प्रयोग जारी है। तभी तो 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब कहते हैं कि मुझे अगले 15-20 साल तक कुछ नहीं होगा, कोई कुछ भी सोचे लेकिन मैं अगली बार भी शांति धारीवाल को यूडीएच मंत्री बनाऊंगा, तो साल का अंत आते-आते पायलट अपनी गायकी से मैसेज दे देते हैं कि जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां…।

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