नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिरोशिमा (जापान) में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर जी-7 शिखर सम्मेलन के सातवें सत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पृथ्वी की पुकार सुनने का आह्वान किया। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया है। भारत की विकास यात्रा भी इसी आदर्श पर आधारित है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। अनेक संकटों से ग्रस्त विश्व में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं। इन बड़ी चुनौतियों से निपटने में एक बाधा यह है कि हम जलवायु परिवर्तन को केवल ऊर्जा के नजरिए से देखते हैं। हमें अपनी चर्चा का दायरा बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय सभ्यता में धरती को मां का दर्जा दिया गया है और हमें इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए धरती की पुकार सुननी होगी। आपको अपने व्यवहार को उसी के अनुसार बदलना होगा। इसी भावना से भारत ने पूरी दुनिया के लिए मिशन लाइफ, इंटरनेशनल सोलर अलायंस, एलायंस फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, मिशन हाइड्रोजन, बायोफ्यूल एलायंस, बिग कैट अलायंस जैसे संस्थागत समाधान तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत का किसान प्रति बूंद अधिक फसल के मिशन पर चलकर पानी की एक-एक बूंद बचाकर प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर है। हम 2070 तक नेट जीरो के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे विशाल रेलवे नेटवर्क ने 2030 तक नेट जीरो तक पहुंचने का फैसला किया है। वर्तमान में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता लगभग 175 गीगावॉट है। 2030 तक यह 500 GW तक पहुंच जाएगा। हम अपने सभी प्रयासों को धरती के प्रति अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। यह भावना हमारे विकास की नींव है और हमारी विकास यात्रा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में निहित है। पर्यावरण प्रतिबद्धता भारत की विकास यात्रा में बाधा नहीं बल्कि उत्प्रेरक है।
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उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमें हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाना होगा। यदि हम जरूरतमंद देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और किफायती वित्तपोषण प्रदान नहीं करते हैं, तो हमारी चर्चाएँ केवल चर्चाएं बनकर रह जाएँगी। धरातल पर कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मैं गर्व से कहता हूं कि भारत के लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। उत्तरदायित्व का यह भाव सदियों से हमारी रगों में दौड़ता आया है। भारत सभी के साथ अपना योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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