लखनऊः राजधानी लखनऊ में जनवरी माह से अब तक डेंगू के लगभग 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 600 मरीज तो पिछले दो महीनों में ही अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। सबसे ज्यादा मामले अलीगंज, गोमती नगर, इंदिरा नगर, आलमबाग और आशियाना में देखने को मिले हैं। डेंगू का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ रहा है, शहर की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमरा रही हैं।
राजधानी लखनऊ के वीआईपी इलाकों में भी डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। राजधानी के पॉश इलाकों में ही जनवरी से अब तक लगभग 350 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। राजधानी की घनी बस्तियों में डेंगू के मामले कम पाए जा रहे हैं। पुराने लखनऊ में बमुश्किल से 50 मामले ही सामने आए हैं। डेंगू के मामले को लेकर संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र फैजुल्लागंज, मडियांव, खदरा, चौक व पुराने लखनऊ के अन्य इलाकों में डेंगू के सौ से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं। इन इलाकों में भले ही डेंगू के मामले कम हो, लेकिन रहस्यमय बुखार ने कहर बरपा रखा है। इन इलाकों में देखने को मिला है कि परिवार का कोई न कोई सदस्य बुखार से पीड़ित जरूर है।
कई बुखार पीड़ित निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती होकर चिकित्सा लाभ ले रहे हैं। दूसरी तरफ, डेंगू समेत बुखार के मामले यूपी में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। राजधानी के आस-पास के क्षेत्र व पास के जिलों में मरीजों को नजदीकी अस्पताल में मुकम्मल इलाज न मिल पाने की वजह से ये मरीज लखनऊ के बड़े अस्पतालों में अपना इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं। इसी वजह से राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में भारी अव्यवस्था देखने को मिल रही है।
राजधानी के बलरामपुर, सिविल, लोक बंधु, रामसागर मिश्रा समेत अन्य अस्पतालों में बेड के लिए मारामारी मची हुई है। लोकबंधु अस्पताल में 25 अतिरिक्त बेडों की व्यवस्था की गई है, वहीं लोहिया अस्पताल में बच्चों व बड़ों के अलग-अलग फीवर वार्ड बना दिए गए हैं। लोहिया में गंभीर मरीजों के भर्ती करने की अलग से व्यवस्था की गई है लेकिन फिर भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि आस-पास के जिले व लखनऊ के ग्रामीण इलाकों के सीएचसी काकोरी, मोहनलालगंज, गुडम्बा, इटौंजा, बीकेटी व अन्य सीएचसी से बुखार के मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है।
अचानक से बुखार के मरीजों की बढ़ती संख्या से राजधानी के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रजिस्ट्रेशन काउंटरों पर भारी भीड़ देखी जा रही है। इसके साथ ही बेड का संकट भी खड़ा हो गया है। बलरामपुर अस्पताल में कल 756 बेड है, इनमें से 632 मरीज भर्ती है। दूसरे विभाग जैसे- सर्जरी, न्यूरो, कार्डियक में बेड खाली बचे हुए हैं। अस्पताल के प्रभारी का कहना है कि जिन मरीजों का इलाज सीएचसी में संभव है, उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने से बचना चाहिए। जिला अस्पताल में केवल गंभीर मरीजों को ही रेफर करना चाहिए, जिससे यहां के अस्पताल मरीजों के दबाव को सह सके और भर्ती मरीज को अच्छा इलाज मुहैया कराया जा सके।
बक्शी का तालाब स्थित रामसागर मिश्र अस्पताल 100 बेड की क्षमता है। यहां पर सभी बेड फुल हैं, ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पताल को रेफर किया जा रहा है। सिविल अस्पताल में 427 बेड है, इसमें 310 बेड पर मरीज भर्ती है। भाऊराव देवरस महानगर में कुल 66 बेड हैं और यहां पर 35 मरीज भर्ती है। इसी तरह इटौंजा सीएचसी में 32 बेड में से 14, बीकेटी सीएचसी में 32 में से 13, सरोजिनी नगर में 30 बेड में से 15 पर ही मरीज भर्ती है। मॉल सीएचसी में 30 बेड में से 14, काकोरी सीएचसी में 30 में से 13 पर ही मरीज के भर्ती होने की सूचना है। सीएचसी स्तर पर ज्यादातर बेड पर गर्भवती महिलाओं के भर्ती होने की बात सामने आ रही है।
रोजाना आ रहे 600 से अधिक बुखार के मरीज
राजधानी लखनऊ में बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की भीड़ लगी हुई है। खून की जांच के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। केजीएमयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर हिमांशु ने बताया बीते दिनों के मुकाबले ओपीडी में मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा हुई है। बलरामपुर अस्पताल के ओपीडी में लगभग 7,000 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक भीड़ मेडिसिन विभाग में दिखाई दे रही है। हर दिन करीब 400 से अधिक मरीज तक बुखार के इलाज के लिए ओपीडी में आ रहे हैं, वहीं पैथोलॉजी में हर दिन डेंगू-मलेरिया की आशंका पर 300-400 तक मरीज अपने खून की जांच करवा रहे हैं।
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर राजेश का कहना है कि ओपीडी में रोज 5,000 तक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। मेडिसिन ओपीडी में करीब 250-300 मरीज बुखार के इलाज के लिए आ रहे हैं। अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, मरीज के इलाज के लिए चार काउंटर भी खुलवाए गए हैं। लोकबंधु अस्पताल की ओपीडी में रोज दो से ढाई हजार मरीज आ रहे हैं। इनमें डेढ़ सौ से 200 मरीज बुखार की शिकायत लेकर आते है। चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी के अनुसार, डेंगू मरीज के पॉजिटिव मामले कम आ रहे हैं, मगर बुखार के मरीज पहले की अपेक्षा बढ़ रहे हैं।
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केजीएमयू के हैं सबसे बुरे हालात
प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान केजीएमयू में मरीजों के भारी दबाव के चलते चिकित्सा व्यवस्था कराह रही है। अस्पताल में बेहतर इलाज की आस लिए दूर-दराज जिलों से आए लोग अस्पताल में रजिस्ट्रेशन करने के लिए रात 12 बजे ही कतार लगा लेते हैं। खुले आसमान के नीचे रात भर से पन्नी का बिछौना बिछाकर सुबह का इंतजार करते रहते हैं। इनमें ज्यादातर बुखार के मरीज होते हैं। मरीजों की लाइन पुरानी ओपीडी से शुरू होकर रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलने तक न्यू डेंटल बिल्डिंग तक पहुंच जाती है। लाइन में लगने वालों में बुजुर्ग, महिला, बच्चे सभी नजर आ रहे हैं।
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