लखनऊः देश में होने वाला लोकसभा चुनाव हो, विधानसभा अथवा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, इन सभी चुनावों में यूपी रोडवेज की बसें अहम भूमिका निभाती हैं। मतदान के लिए पोलिंग पार्टिंयों व पुलिस बल की रवानगी के लिए रोडवेज बसें लंबे समय से पहली पसंद बनी हुई हैं। हर बार का चुनाव यूपी रोडवेज के लिए सुखद साबित होता रहा है।
चुनाव में पहली पसंद के चलते ही इस बार भी विधानसभा चुनाव 2022 रोडवेज की झोली भरेगा। विधानसभा चुनाव को संपन्न कराने के लिए करीब 3,300 बसें चुनाव ड्यूटी में लगायी गयी हैं। सुरक्षाबलों के साथ चुनाव में ड्यूटीरत कर्मचारियों के आवागमन के लिए बसों के साथ चालकों की भी ड्यूटी लगाई गयी है। परिवहन निगम के अफसरों के मुताबिक, बेहतर सेवा के चलते चुनाव में हर बार रोडवेज बसों की मांग सबसे अधिक रहती है। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आर.पी. सिंह के अनुसार चुनाव को लेकर जितनी बसों की मांग की गयी थी, उसके मुताबिक बसें भेज दी गयी हैं। इससे अधिक बसों की मांग की जाती है, तो इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को बसों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
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बीते चुनावों में हुई जमकर कमाई
परिवहन निगम के अफसरों की मानें तो लोकसभा चुनाव 2019 में करीब 3,400 बसों का बेड़ा चुनाव ड्यूटी में लगाया गया था। परिवहन निगम को इससे मोटी कमाई भी हुई। चुनाव में लगाई गई बसों और चालकों के भुगतान के लिए परिवहन निगम ने करीब 266 करोड़ रुपए का बिल भी शासन को भेजा। इसी प्रकार विधानसभा चुनााव 2017 में करीब 4 हजार बसें और इतने ही चालकों की ड्यूटी लगाई गई। तब किराया कम होने से इसके लिए करीब 150 करोड़ का बिल तैयार किया गया। चुनावी धनराशि का उपयोग नई बसें खरीदे जाने के साथ ही अन्य कार्यों के लिए किया जाता है।
रोडवेज बसें इसलिए हैं पहली पसंद
चुनाव में रोडवेज बसों के पहली पसंद होने के कई वजहें हैं। रोडवेज बसों में चालक साथ में रहता है, इससे वाहन की सुरक्षा का जिम्मा चालक का होता है, अन्य लोग इससे दूर रहते हैं। बसों को डीजल के लिए परेशानी का सामना नहीं करना होता है। प्रदेश भर में रोडवेज के डिपो में पेट्रोल पंप मौजूद हैं, जहां पर आसानी से डीजल मिल जाता है, वहीं प्रदेश भर में परिवहन निगम के डिपो भी मौजूद हैं। ऐसे में बस में कही भी खराबी आने पर जल्द डिपो से ठीक कराने की सुविधा मिल जाती है। इसके साथ ही बस ठीक न होने पर तत्काल दूसरी बस की व्यवस्था भी आसानी से हो जाती है।
निजी वाहनों को मिलेगा 10 प्रतिशत अधिक किराया
विधानसभा चुनाव 2022 में जिन निजी वाहनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनकी नए सिरे से किराया दर निर्धारित की गयी है। इन वाहनों को बीते लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक किराए का भुगतान किया जाएगा। विधानसभा चुनाव के लिए संभागीय परिवहन कार्यालय से छोटे व बड़े 3,200 निजी वाहनों की मांग की गयी है। चुनाव में छोटे वाहनों का अधिग्रहण पोलिंग पार्टी व सेक्टर मजिस्टेªट की रवानगी के लिए किया जा रहा है, वहीं पुलिस फोर्स की रवानगी के लिए बस व ट्रक का अधिग्रहण किया जा रहा है। राजधानी में आरटीओ कार्यालय को चुनाव के लिए एक हजार वाहनों की व्यवस्था करनी है। इसके लिए अफसर जहां ट्रांसपोर्टर से संपर्क साध रहे हैं, तो वहीं प्रवर्तन दस्ते वाहनों की धरपकड़ में जुटे हैं।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस बार चुनाव ड्यूटी पर जो भी वाहन लगाए जाएंगे, उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक भुगतान किया जाएगा। पेट्रोल चालित 1,200 सीसी तक डीजल चलित वाहन और 1,450 सीसी तक के हल्के सवारी वाहन जीप, इंडिका, मार्शल, वैगनार, मारुति जिप्सी, ब्रेजा, सियाज एसी वाहनों के लिए 1,174 रुपए का शुल्क प्रतिदिन के हिसाब से तय किया गया था। इसमें दैनिक मेहनताना और ईधन शामिल था। इसी प्रकार से सामान्य वाहनों का शुल्क 1018 रुपए तय किया गया था। अब इस बार सभी तरह के वाहनों के शुल्क में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। पिछले चुनाव में स्कार्पियो, टवेरा, इनोवा, बोलेरो, क्रेटा एसी वाहनों का शुल्क 1,722 रुपए था, जबकि नॉन एसी वाहनों का शुल्क 1,566 रुपए था।
वर्जन
वहीं वीके सोनकिया ने बताया कि अपर परिवहन आयुक्त परिवहन विभाग चुनाव के लिए वाहनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सभी क्षेत्रीय अफसरों को वाहन मालिकों से संपर्क कर वाहन अधिग्रहण के निर्देश दिए गए हैं। इस बार चुनाव में ड्यूटी करने वाले वाहनों को 10 प्रतिशत अधिक किराए का भुगतान किया जाएगा।
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