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उत्तराखंड विधानसभा चुनावः चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे 632 उम्मीदवारों का भाग्य आज ईवीएम में होगा कैद

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देहरादूनः उत्तराखंड में कल शाम पांच बजते ही चुनाव प्रचार थम गया। प्रदेश के सभी 70 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन 14 फरवरी को मतदान होगा। इस बार 632 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें से 152 निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इन सभी के भाग्य का फैसला 81 लाख 72 हजार 173 मतदाता करेंगे। इस बार भी कई दिग्गज नेता चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। भाजपा ने अपने सभी मंत्रियों को टिकट दिया है। मंत्री रहे यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत के कांग्रेस में चले जाने से वे दोनों भाजपा से नहीं लड़ रहे हैं। यशपाल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो हरक सिंह के बदले कांग्रेस ने उनकी बहू को टिकट इस बार टिकट दिया है। यदि मंडलवार दिग्गज नेताओं को देखें तो गढ़वाल के कुल 41 सीटों पर मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में तो नहीं हैं, लेकिन कई मंत्री और वरिष्ठ नेता यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम सतपाल महाराज का है। सतपाल महाराज भाजपा के तीनों मुख्यमंत्री के कार्यकाल में पर्यटन मंत्री रहे हैं। वे चौबट्टाखाल से चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार भी महाराज इसी सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार इनके सामने कांग्रेस के केसर सिंह नेगी हैं।

इनके अलावा पौड़ी जिले में ही उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत भी मैदान में हैं। इनके सामने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल हैं। पिछले चुनाव में भी इस सीट पर इन्हीं दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें धन सिंह रावत की जीत हुई थी। श्रीनगर से लगे टिहरी जिले में कई बड़े नेता मैदान में हैं। इनमें उक्रांद के सबसे लोकप्रिय और वरिष्ठ के साथ कैबिनेट मंत्री रहे दिवाकर भट्ट मैदान में हैं। दिवाकर भट्ट राज्य आंदोलन के बड़े नेता रहे हैं। ये देवप्रयाग सीट से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। दिवाकर भट्ट के अलावा कांग्रेस ने शिक्षा मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी को टिकट दिया है। भाजपा ने अपने युवा चेहरा और सिटिंग विधायक विनोद कंडारी को मैदान में उतारा हैं। इन तीनों के चुनाव लड़ने से देवप्रयाग सीट की लड़ाई दिलचस्प मोड पर आ गयी है। टिहरी जिले के नरेंद्र नगर सीट पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ताल ठोक रहे हैं। इन्हें चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़े ओम गोपाल को मैदान में उतारा है। ओम गोपाल उक्रांद में रहते हुए इस सीट से विधायक रह चुके हैं। जबकि सुबोध उनियाल का यह क्षेत्र जन्म और कर्मभूमि है। नरेंद्र नगर से लगे टिहरी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने अंत तक अपने पत्ते नहीं खोले थे। नामांकन खत्म होने के एक दिन पहले दोनों पार्टी ने एक दूसरे के नेता को टिकट दिया। भाजपा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और एनडी तिवारी सरकार में मंत्री रहे किशोर उपाध्याय को टिकट दिया।

कांग्रेस ने भाजपा के सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी को टिकट देकर मैदान में उतारा है। यहां का मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं। इन दोनों के अलावा पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै भी अपनी पार्टी से चुनाव मैदान में हैं। टिहरी से ही लगे धनौल्टी सीट पर प्रीतम सिंह पंवार मैदान में हैं। पंवार तीन बार विधायक और मंत्री रहे हैं। उत्तरकाशी के गंगोत्री सीट पर भी मुकाबला कड़ा रहने वाला है। यहां से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरा कर्नल कोठियाल मैदान में हैं। कर्नल कोठियाल को कांग्रेस से विजयपाल सजवाण और भाजपा के सुरेश चैहान चुनौती दे रहे हैं। इस सीट को लेकर मिथक यही है कि जिस पार्टी ने इस पर जीत हासिल कर ली, प्रदेश में उसकी ही सरकार बनती है। देहरादून जिले में मसूरी से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी मैदान में हैं। यहां से ये लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं। इनके अलावा चकराता से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह मैदान में हैं। प्रीतम सिंह को अभी तक यहां से किसी ने हरा नहीं पाया है। यह प्रीतम सिंह का पारिवारिक सीट माना जाता है। इस बार भी इनकी जीत पक्की मानी जा रही है। देहरादून में ही कैंट सीट से लगातार आठ बार विधायक हरबंश कपूर की पत्नी सविता कपूर चुनाव मैदान में है। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीट डोईवाला पर भी मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है। इस बार वे चुनाव मैदान में नहीं हैं। हरिद्वार की बात करें तो हरिद्वार सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतपाल ब्रह्मचारी हैं। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर मंत्री यतीश्वरानंद जे सामने कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री रहे अनुपमा रावत मैदान में हैं। हरिद्वार के कई सीटों पर बसपा ने मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। गढ़वाल के बाद कुमाऊं की बात करें तो यहां से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सहित पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मैदान में हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी खटीमा से ताल ठोक रहे हैं। वे यहां से लगातार तो बार विधायक रह चुके हैं। इनके सामने कांग्रेस ने अपने कार्यकारी अध्यक्ष विनोद कापड़ी को मैदान में उतारा है। पीछले चुनाव में भी यहां इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। हरीश रावत के सामने भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। इस सीट पर संध्या डालाकोटी कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। इस कारण हरीश रावत के सामने जीत दर्ज करना चुनौती भरा काम हो गया है। कालाढूंगी सीट से मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत चुनाव मैदान में हैं। वे यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। कांग्रेस ने यहां मजबूत उम्मीदवार के रूप में महेश शर्मा को उतारा है। बाजपुर सीट से कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकार में मंत्री रहे यशपाल आर्य मैदान में हैं। यशपाल आर्य पिछले चुनाव से ऐन पहले भाजपा में चले गए थे। भाजपा की सरकार बनने पर वे मंत्री बने। इस बार चुनाव से एक महीना पहले अपने पुत्र विधायक संजीव आर्य के साथ फिर से कांग्रेस में चले गए हैं। भाजपा ने बाजपुर से राजेश कुमार को उतारा है। अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर से कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता गोविन्द सिंह कुंजवाल चुनाव मैदान में हैं। उनके सामने लंबे समय तक उनका शिष्य रहे मोहन सिंह महरा भाजपा से लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव गोविन्द सिंह कुंजवाल कुछ सौ मतों से जीते थे। इस बार मुकाबला कड़ा होने की संभावना है। सोमेश्वर से महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य चुनाव में लड़ रही हैं। वे इस सीट से एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा के टिकट पर जीत कर विधायक रही हैं। सोमेश्वर से आगे पिथौरागढ़ के डीडीहाट सीट पर मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे बिशन सिंह चुफाल चुनाव लड़ रहे हैं। वे यहां से लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं। यदि इस बार वे फिर जीत हासिल करने में कामयाब रहते हैं तो यह उनका जीत का सिक्सर होगा।

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