देहरादून: राज्य में बारिश और बाढ़ के पानी के कारण लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। एक तरफ मौसम विभाग की ओर से भारी बारिश का अलर्ट है तो दूसरी तरफ भारी बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर चेतावनी रेखा से ऊपर होने के कारण श्रीनगर बांध से पानी छोड़ दिया गया है। इतना ही नहीं, हरिद्वार के भीम गौड़ा बैराज के गेट नंबर 01 के क्षतिग्रस्त होने से डाउन स्ट्रीम में तेजी से डिस्चार्ज यानी पानी आने की प्रबल संभावना है, तो ग्लेशियर टूटने से गिरथी नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है।
रविवार को नीति घाटी के मलारी सुमना क्षेत्र में। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, उत्तराखंड में अगले 24 घंटों के लिए गरज के साथ बिजली गिरने और भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट चेतावनी जारी की गई है.
आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार, राज्य में पिथौरागढ़ की एक सीमा सहित राज्य भर में कुल 223 सड़कें बंद हैं। आउट होने के कारण चमोली जिले के जोशीमठ मलारी सीमा पर यातायात अवरुद्ध हो गया। उक्त मार्ग पर पैदल यात्रियों के आवागमन के लिए पुल खोल दिया गया है।
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भारतीय सीमा इलाके के दिन अति घाटी के मदारी सुनना क्षेत्र में रविवार को ग्लेशियर के एक बार फिर टूटने की घटना सामने आई है। ग्लेशियर टूटने से गिरथी नदी का जलस्तर बढ़ गया है साथ ही सीमा क्षेत्र को जोड़ने वाला पुल खतरे में आ गया है। हालांकि किस ग्लेशियर के टूटने की यह घटना के बारे में बात करते हुए आपदा परिचालन केंद्र ने कहा कि क्या एक आम बात है की ग्लेशियर टूटता रहता है।
राज्य में भारी बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जल स्तर चेतावनी रेखा से ऊपर बढ़ जाने के कारण श्रीनगर बांध से पानी छोड़ा गया है। इस संबंध में पौडी, देहरादून, टिहरी और हरिद्वार के जिलाधिकारियों को सावधानी बरतने के निर्देश दिये गये हैं।
इधर, हरिद्वार स्थित भीम गौड़ा बैराज गेट 01 के क्षतिग्रस्त होने से डाउन स्ट्रीम में डिस्चार्ज तेजी से बढ़ने की प्रबल संभावना है. इसे ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार को सतर्क रहने के निर्देश दिये गये हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के ड्यूटी ऑफिसर/उप सचिव अनूप कुमार मिश्रा की ओर से चेतावनी जारी की गई है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, राज्य में 16 और 17 जुलाई को ऑरेंज अलर्ट और 18 से 20 जुलाई के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. इस दौरान संवेदनशील इलाकों में हल्के से मध्यम भूस्खलन और चट्टानें गिरने की घटनाएं हो सकती हैं. सड़कों, राजमार्गों में अवरोधों के क्षरण, निचले इलाकों में बाढ़/जल-जमाव की संभावना।