आस्था

लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है यूपी का ये मंदिर, अनोखी है यहां की परंपरा

मुरादाबादः उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में कपूर कंपनी स्थित श्री हुल्का देवी माता मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक है। यह एक प्राचीन सिद्धपीठ है जो 500 वर्ष से भी अधिक पुराना है। होली के अगले दिन से शुरू होने वाले 14 दिवसीय बासौड़ा मेले के दौरान लाखों भक्त यहां पूजा करने और प्रसाद चढ़ाने आते हैं। श्री हुल्का देवी माता मंदिर को शीतला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

स्वयं अवतरित हुईं थी माता

मंदिर के महंत पंडित ब्रह्मानंद गोस्वामी ने बताया कि करीब 500 साल पहले मंदिर के स्थान पर शीतला माता स्वयं अवतरित हुई थीं। उसके बाद यहां एक मठ (चामुंडा मंदिर) बनाया गया जिसमें माता की स्वयंभू मूर्ति स्थापित की गई। पहले यहां महंत गिरि बाबा का स्थान हुआ करता था, बाद में उनके शिष्यों भागीरथ दास और हरद्वार गोस्वामी ने मठ में एक मंदिर बनवाया। महंत गोस्वामी ने बताया कि मंदिर परिसर में एक सेवा शिविर था जहां अधिकांश सैनिक आए दिन बीमार रहते थे। एक दिन शीतला माता ने छावनी के कप्तान को स्वप्न में दर्शन दिये और कहा कि यदि तुम्हारे सैनिक मेरे मंदिर में दर्शन करने के साथ-साथ मेरी पूजा करेंगे तो वे ठीक हो जायेंगे और उनका रोग दूर हो जायेगा। इसके बाद छावनी के कप्तान ने अपने सैनिकों के साथ माता रानी के दर्शन किये, प्रसाद चढ़ाया और पूजा की। इसके बाद सभी स्वस्थ रहने लगे। धीरे-धीरे लोगों को इस बारे में पता चला और मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती गई। मंदिर में होली के अगले दिन यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया से 14 दिवसीय बासौड़ा मेला शुरू होता है, जो चैत्र नवरात्रि के आरंभ तक चलता है। मेले के दौरान हर साल शीतला माता की पूजा करने के लिए मुरादाबाद, आसपास के जिलों, उत्तराखंड और दिल्ली आदि स्थानों से श्रद्धालु आते हैं।

होलिका दहन के बाद चढ़ाया जाता है जल

मंदिर परिसर में शीतला माता के अलावा काली माता, भगवान श्री विष्णु, हनुमान जी, भगवान श्री कृष्ण और शिव परिवार स्थापित हैं। मंदिर में आने वाले भक्त प्रसाद के रूप में बताशा, लौंग का जोड़ा, कौड़ी, फल-फूल के साथ जल आदि चढ़ाकर माता रानी की पूजा करते हैं। मंदिर के पुजारी उन पर मोर पंख छिड़कते हैं। बासौड़ा मेले में आने वाले श्रद्धालु एक दिन पहले ही घर पर बासी खाना बनाकर माता रानी को भोग लगाते हैं और फिर अपने परिवार के साथ मंदिर परिसर में बैठकर खाते हैं। बासौड़ा मेले में कई श्रद्धालु बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए भी आते हैं। इसके अलावा नवविवाहित जोड़े देवी मां को प्रसाद चढ़ाकर सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगते हैं। श्री हुल्का देवी माता मंदिर का निर्माण महंत गिरी बाबा के शिष्य महंत भागीरथ दास और महंत भागीरथ दास के शिष्य महंत हरद्वार गोस्वामी ने करवाया था। वर्तमान में मंदिर परिसर में महंत हरद्वार गोस्वामी और उनके पुत्र महंत सच्चिदानंद गोस्वामी की समाधि बनी हुई है। यह भी पढ़ेंः-बिहार में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा, जानिए किसे मिली कितनी सीटें? महंत पंडित गोस्वामी ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के बाद वातावरण का तापमान बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए माता शीतला को जल अर्पित किया जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि लोग चौराहों पर होली जलाने वाले स्थानों और शीतला माता मंदिर में जल चढ़ाकर होलिका माता/शीतला माता को शांत करते हैं। अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)