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विश्व में जलवायु परिवर्तन से निपटने में बहुआयामी भूमिका निभा रहा भारत

Lok Sabha Speaker Om Birla addresses on the occasion of World Tourism Day 2021

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि भारत ‘जलवायु न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान में दुनिया की मदद करने के लिए बहुआयामी भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारा देश वैश्विक विज़न से एक ऐसी विश्व व्यवस्था की स्थापना के लिए कार्य कर रहा है जिसमें ऊर्जा न्याय, जलवायु न्याय और आर्थिक न्याय हो । बिरला ने जी 20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी20) में आज दूसरे कार्य सत्र में ‘सामाजिक और पर्यावरणीय संघारणीयता के सन्दर्भ में आर्थिक वृद्धि को पुनर्जीवित करना’ विषय पर प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं ।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। मानवता की रक्षा के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए विश्व समुदाय को तेजी से ठोस सामूहिक कार्रवाई करनी होगी। भारत की संसद ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर व्यापक रूप से चर्चा की है और उसके बाद पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई कानून पारित किए हैं।

बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत ने 2005 की तुलना में अपने कार्बन उत्सर्जन में 24 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले ही हासिल कर लिया है। इसके अलावा, देश इस तीव्रता से 35 प्रतिशत तक कमी लाने के निर्धारित लक्ष्य को वर्ष 2030 से बहुत पहले ही प्राप्त कर लेगा । पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि भारत एक तरफ ग्लोबल नॉर्थ के साथ साझेदारी कर रहा है और दूसरी तरफ ग्लोबल साउथ के 'एडवोकेट' के रूप में काम कर रहा है।

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लोकसभा अध्यक्ष ने सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की संसद और सरकार के बीच सकारात्मक चर्चा और संवाद के लिए मजबूत तंत्र है। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा, आय सुरक्षा, रोजगार सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने वाले कानूनों का उल्लेख किया, जिससे समाज के वंचित और कमजोर वर्गों को लाभ हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु संरक्षण और विकास साथ साथ चलने चाहिए क्योंकि भारत की विकास नीति अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों को साथ लेकर चलने की संकल्पना पर आधारित है। बिरला ने यह भी कहा कि सतत विकास ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है।

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