विशेष Featured

चीन की 'जासूसी' वाली चाल से सतर्क भारत

Hacker

लखनऊः लद्दाख में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में घुसपैठ की कोशिश व भारत को उकसाने के लिए चीन कुटिल चालें चल रहा है। सीमा पर तनाव के बीच अब उसके एक और नापाक इरादे का खुलासा हुआ है। चीन कुछ कंपनियों के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की जासूसी करवा रहा है। इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है और देश की खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। इसके अलावा अब विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने में लग गए हैं।

अंग्रेसी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने चीन द्वारा करवाई जा रही जासूसी को लेकर यह चैंकाने वाला खुलासा किया है। माना जा रहा है कि भारत से तनाव के हालात के बीच यह चीन की सोची-समझी साजिश है। वह कुछ कंपनियों के द्वारा भारत में जासूसी करवा रहा है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, सेना के अफसर व बिजनेसमैन उसके निशाने पर हैं। भारत और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। यह जासूसी भारत के तमाम सैन्य ठिकानों, महत्वपूर्ण व्यक्तियों और देश को आर्थिक समृद्धि देने वाले स्थानों की कराई जा रही है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चाइनीज कंपनी शेनजेन भारत में करीब 10 हजार लोगों की निगरानी कर रही है। इस कंपनी का चीन की सरकार और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से सीधा संबंध है। इस चीनी कंपनी की करीब 10 हजार भारतीयों पर नजर है। झेनझुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड की ओर से जिन भारतीयों पर नजर रखी जा रही है, उनमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गांधी परिवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, बिपिन रावत जैसी हस्तियां शामिल हैं। भारत ही नहीं दुनिया के कई और देशों में चीन के द्वारा जासूसी की बात सामने आ रही है। ब्रिटिश अखबार द टेलिग्राफ ने भी अपनी एक रिपोर्ट में चीनी कंपनी द्वारा 40 हजार लोगों के डाटाबेस तैयार करने का दावा किया है।

ब्रिटेन के 40 हजार लोगों का डाटाबेस तैयार

चीन द्वारा ब्रिटेन के भी 40 हजार लोगों का डाटाबेस तैयार करने की खबर सामने आ रही है। चीनी सरकार अपनी इंटेलिजेंस सर्विस के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं। ब्रिटेन के एक अखबार ‘द टेलिग्राफ’ के दावे के अनुसार, चीनी कंपनी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और उनकी कैबिनेट, शाही परिवार, सेना के अफसर, बिजनेसमैन और कई अपराधियों का डाटाबेस तैयार किया हुआ है। जब यह बात सामने आई तो ब्रिटिश सांसद जस्टिन वेल्बी, एफराइम मिरविस ने सरकार से कहा कि क्या लगता है कि पूरा ब्रिटेन चीन की नजरों में हैं।

यह भी पढ़ेंः-पीएम मोदी ने बिहार को बताया इनोवेशन का पर्याय, किया 7 परियोजनाओं का उद्घाटन

इससे पहले 1,000 करोड़ रुपये के हवाला रैकेट के मामले में गिरफ्तार चीनी नागरिक लुओ सांग को लेकर कई चैंकाने वाले खुलासे हुए थे। भारत में ‘चार्ली पेंग’ के फर्जी नाम से रह रहा सांग दरअसल यहां चीन के लिए जासूसी कर रहा था। वह दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में निर्वासित तिब्बतियों से घुल-मिलकर और उनके ठिकानों का पता लगा रहा था। इसकी जानकारी चीन की खुफिया एजेंसी ‘एमएसएस’ यानी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी को भेज रहा था। सांग अपने जासूसी के सीक्रेट ऑपरेशन का ट्रांजिट कैंप दिल्ली के मजनूं का टीला में था।

एक कुम्हार ले रहा था दलाईलामा की जानकारी

2018 में भारत ने एक ऐसे व्यक्ति को पकड़ा था, जो तिब्बत से भारत के संबंधों की जानकारी ले रहा था। कई लामाओं को रिश्वत देकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और उनके सहयोगियों के बारे में जानकारी जुटा चुका था। सेना ने जासूस होने के शक में एक व्यक्ति को अरुणाचल प्रदेश के भारत-चीन बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। इस व्यक्ति की पहचान निर्मल राय के रूप में हुई थी। वह तिनसुकिया जिले के अंबिकापुर गांव का रहने वाला था। वह अरुणाचल प्रदेश के अंजाव में कुम्हार बनकर काम कर रहा था। निर्मल को दुबई में पकिस्तान के हैंडलर्स ने गुप्त रूप से फोटो और वीडियो बनाने की ट्रेनिंग दी थी।

चीन के लिए ये स्थान अहम

आईएनएस कादंबा नौसेना बेस, जिसके आस-पास के इलाकों में चीन के एक बिजनेस डेलिगेशन के दौरे के बाद खुफिया एजेंसियां चैकन्नी हो गईं हैं। चीन की नजरें इस पर काफी दिनों से हैं। दूसरा अहम ठिकाना ओडिशा का वोव्हीलर द्वीप है। इसका नामकरण पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया था। इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स ने भी इंटेलिजेंस एजेंसियों का हवाला देकर लिखा कि चीनी लोगों का जमावड़ा देश के कई स्थानों पर है। वह यहां कमाने के लिए आए हैं, लेकिन यह सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं है। इन स्थानों में चाइनीज टाउन, वैल्लोर और कोयंबटूर आदि हैं। वर्ष 2017 में अमेरिकी मैगजीन अटलांटिक ने भी कुछ ऐसे ही दावे किए थे।

भारत के बारे में मीडिया रिपोर्ट कहती हैं कि चीन की जासूसी का तरीका अमेरिका, रूस या अन्य यूरोपीय देशों से अलग है। वह ह्यूमन एजेंट्स के अलावा बड़े पैमाने पर रिमोट एजेंट के साथ काम करता है। विकीपीडिया से जुड़ी एक रिपोर्ट कहती है भारत समेत कई देशों पर चीन साइबर स्पाइंग के जरिए भी नजर रखता है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने अब चीन में बने तमाम ऐप से दूरियां बनानी शुरू कर दी है।

एक रिपोर्ट ये भी कहती है कि पिछले कुछ सालों में नेपाल में भारतीय सीमा से जुड़े इलाकों में स्टडी सेंटर खुल गए हैं। इनके पीछे चीन का हाथ है। इनका असल काम भारत पर नजर रखना है। चीन अपने सैन्य अड्डे बनाने में जुटा है। यही काम वह म्यांमार, श्रीलंका और मलेशिया में कर सकता है। इंडियन एक्सप्रेस ने सचिन तेंदुलकर, गौतम अडानी, श्याम बेनेगल, सोनल मानसिंह, राधे मां का नाम लेते हुए लिखा कि इन पर भी चीन की नजर है।