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कोरोना संक्रमण ने तोड़ दी ट्रांसपोर्टरों की कमर, थम गए 60 प्रतिशत वाहनों के पहिए

लखनऊः शहर से गांव तक फैल चुके कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने ट्रांसपोर्टरों को अधिक प्रभावित किया है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में राजधानी के करीब 60 प्रतिशत वाहनों के पहिए थम गए हैं। ट्रांसपोर्टरों के आधे से अधिक वाहनों का संचालन बंद होने से इसका सीधा असर बाजारों में सामानों की उपलब्धता पर पड़ रहा है।
राजधानी में करीब 400 ट्रांसपोर्टरों का कोरोना वायरस के चलते धंधा ही चौपट हो गया हैं। इन सभी ट्रांसपोर्टरों के पास कुल मिलाकर छोटे-बड़े 10 हजार वाहन हैं। जिनमें से सिर्फ 40 प्रतिशत ही कोरोनाकाल में माल ढो रहे हैं, वहीं 60 फीसदी वाहनों के खड़े होने के चलते ट्रांसपोर्टरों की कमर टूट गयी है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि आगे भी कोरोना का दौर इसी प्रकार से जारी रहा, तो आने वाले दिनों में मुसीबतें और अधिक बढ़ेंगी। ऐसे में सरकार को ट्रांसपोर्टरों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। राजधानी के ट्रांसपोर्टरों को रोजाना करीब 9 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके चलते लखनऊ के सैकड़ों ट्रांसपोर्टरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

4 हजार वाहन ही ढो रहे माल
द ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण अवस्थी ने बताया कि राजधानी में जितनी संख्या में ट्रांसपोर्ट वाहन हैं, उनमें से वर्तमान में सिर्फ 40 प्रतिशत वाहन ही संचालित हो रहे हैं। ये वाहन आवश्यक सेवाओं में शामिल दवा व खाद्य वस्तुओं से संबंधित माल ही ढो रहे हैं। राजधानी के कुल 10 हजार वाहनों में सिर्फ 4,000 वाहन ही माल ढो रहे हैं, जबकि बड़े ट्रकों सहित 6,000 वाहन करीब एक माह से अधिक समय से खड़े हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, जालंधर, चंडीगढ़, कुल्लू, लुधियाना और मनाली से इलेक्ट्रॉनिक, केमिकल, पेंट, कपड़ा, साइकिल, फल, इंजन ऑयल की ढुलाई का काम पूरी तरह ठप है।

नो प्राॅफिट नो लाॅस पर चल रहे ट्रक
अखिल भारतीय परिवहन विकास ट्रस्ट के प्रवक्ता जगदीश गुप्ता ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सिर्फ दवा और आवश्यक वस्तुओं का ही परिवहन हो रहा है। नो प्रॉफिट नो लॉस की तर्ज पर ट्रक चल रहे हैं। वहीं अन्य व्यवसाय कर्मचारियों के अभाव में पूरी तरह ठप पड़े हैं। देश भर में लाखों की संख्या में ट्रक और बसें खड़ी हुई हैं। लखनऊ में भी हजारों की संख्या में वाहन खड़े हुए हैं। इसके चलते ट्रांसपोर्टरों को बहुत अधिक घाटा हो रहा है। सरकार को ट्रांसपोर्टरों को कई तरह के टैक्स से राहत देनी चाहिए।

केंद्र सरकार को लिखा पत्र
ट्रांसपोर्टरों को हो रहे नुकसान की भरपायी के लिए अखिल भारतीय परिवहन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष कुलतारण सिंह अटवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने सरकार से ईएमआई, एनपीए, रोड टैक्स, टोल टैक्स, पैसेंजर टैक्स, म्युनिसिपल टैक्स, ई-वे बिल से ट्रक ऑपरेटर्स को राहत देने की मांग की है।

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वाहनों के न चलने से हो रहा नुकसान
लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महामंत्री पंकज शुक्ला ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों को माल ढोने वाले प्रति वाहन से रोजाना औसतन 15,000 रूपए का भुगतान मिलता था। ऐसे में वाहनों के न चलने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई ट्रांसपोर्टर ऐसे हैं, जिनके एक भी वाहन का चक्का अपनी जगह से हिला तक नहीं है। इससे ट्रांसपोर्टरों को हो रही दिक्कतों का अंदाजा लगाया जा सकता है।