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कॉपी-किताबों के साथ बढ़े स्टेशनरी के दाम, अभिभावक परेशान

लखनऊः कोरोना काल की बंदी और ऑनलाइन पढ़ाई चलने के दो साल बाद एक बार फिर स्कूलों के खुलने से स्टेशनरी कारोबार अपनी रफ्तार पकड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। स्कूल की कॉपी-किताबों की खरीदारी के लिए दुकानों पर भीड़ देखी जा रही है। महंगाई जब चौतरफा वार कर रही है, तो अभिभावकों को इनकी खरीद पर भी अपनी जेबें पहले के मुकाबले ज्यादा ढीली करनी पड़ रही हैं। इस बार स्टेशनरी के दाम 25 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं।

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एक तरफ कागज की कीमतों में इजाफा होने से कापी-किताबों के लिए अधिक मूल्य चुकाना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ स्कूल द्वारा हर साल नया सिलेबस रखने व नए लेखकों की किताबें चलाने से अभिभावकों को हर साल नई किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। पहले दूसरों से पुरानी किताबें मांगकर या बड़े बच्चे की किताबें छोटे बच्चों के काम आ जाया करती थीं। इससे अभिभावकों को थोड़ी राहत मिल जाती थी, लेकिन अब उन्हें हर साल इस पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। राजधानी लखनऊ के स्कूलों में अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र के लिए किताबें-कॉपी, यूनिफार्म, पेन, पेन्सिल, टिफिन आदि की खरीदारी शुरू हो गई है।

स्टेशनरी का काम करने वाले विदुर ने बताया कि कागज महंगा होने से कापी-किताबों के दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई अधिक खर्चीली होने वाली है। अभिभावकों को पेन-पेंसिल, रबर, शार्पनर से लेकर कलर बॉक्स, स्केच पेन, जियोमेट्री बॉक्स तक के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। 5 से 10 रुपए के सामान की कीमत में 3 से 5 रुपए की वृद्धि हुई है। स्केच पेन, कलर बॉक्स जैसे सामान जो पिछले वर्ष तक 60 से 80 रुपये में मिला करते थे, अब उनकी कीमत 75 से 100 रुपए पहुंच गई है। कापियों की कीमत भी बढ़ गई है। कापियों के दाम में 15 से 20 प्रतिशत की तेजी आई है। किताबों की कीमत में भी तेजी आई है। निजी प्रकाशकों ने पुस्तकों के दाम 20 से 25 प्रतिशत बढ़ाए हैं।

स्कूली बैग भी हुए महंगे

पिछले वर्ष तक एक सामान्य किस्म का बस्ता 300 रूपए में आसानी से आ जाया करता था, लेकिन इस बार सबसे सस्ते बस्तों की कीमत 450 तक पहुंच गई है। कीमत बढ़ने का असर बस्ते पर पड़ा है। निजी स्कूलों के प्री प्राइमरी कक्षाओं का बस्ता 300 से 400 रुपए महंगा हुआ है। पहली कक्षा का बस्ता पिछले वर्ष 3200-3400 में मिला था, इस बार 4400 चुकाने पड़ रहे हैं। अलीगंज स्थित एक दुकान पर किताबें खरीदने पहुंचे अभिभावक ने बताया कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे की सिर्फ किताबें 5,200 रुपये में मिली हैं। अभी कॉपी और अन्य सामान खरीदना बाकी ही है।

विक्रेताओं ने कही ये बात

अलीगंज स्थित करन खन्ना, पुस्तक विक्रेता ने बताया कि कोरोना की वजह से दो साल तक काम पूरी तरह से ठप रहा। स्कूल खुलने लगे हैं, तो इस बार अच्छे काम की उम्मीद है। कागज महंगा होने से स्टेशनरी की कीमतों में काफी तेजी आई है, लेकिन हम कापियों के पुराने स्टॉक पर 25 प्रतिशत की छूट दे रहे हैं। उनके बगल में स्थित स्टेशनरी विक्रेता ने बताया कि दो वर्ष बाद स्टेशनरी में अच्छे काम की उम्मीद है। इस बार स्टेशनरी महंगी हुई है। 5 से 10 रुपए के सामान में 5 रुपए तक बढ़े हैं, जबकि 100 रुपए के सामान में 30 से 40 रुपए की वृद्धि हुई है।

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