रांची: झारखंड आईएएस-आईपीएस अफसरों की कमी झेल रहा है। राज्य प्रशासन के कई अहम पद या तो खाली हैं या फिर प्रभार में चल रहे हैं। ऐसे में राज्य का प्रशासनिक ढांचा प्रभावित हो रहा है। कई विभागों में महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति नहीं मिल पा रही है। कई आईएएस अफसर ऐसे हैं, जो एक साथ कई विभागों का कामकाज देख रहे हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में आईएएस अफसरों की कमी से अवगत कराया था। उन्होंने राज्य सरकार से एनओसी (No Objection Certificate) लिए बगैर केंद्र द्वारा IAS अफसरों की सेवा सीधे केंद्रीय तैनाती पर भेजे जाने के नियम लागू करने के प्रस्ताव का विरोध किया था।
373 पदों में से 88 पद रिक्त –
आईएएस-आईपीएस संवर्ग को मिलाकर राज्य में कुल 373 पद हैं, जिनमें से 88 पद खाली पड़े हैं। झारखंड कैडर के 18 सीनियर आईएएस और 22 आईपीएस अगले कुछ वर्षों के लिए केंद्रीय तैनाती पर हैं। आईएएस के 224 पद हैं, जिनमें केवल 170 अधिकारी ही कार्यरत हैं। इस तरह 54 पद खाली पड़े हैं। दो आईएएस पूजा सिंघल और छविरंजन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में हैं।
कमिश्नर के पद भी खाली –
आलम यह है कि राज्य की कुल पांच कमिश्नरियों में दो पलामू और दक्षिणी छोटानागपुर में कमिश्नर के पद रिक्त हैं। इनके अलावा आईपीआरडी, समाज कल्याण, उद्योग विभाग और प्राथमिक शिक्षा विभाग में निदेशक, गृह एवं कारा विभाग में विशेष सचिव और निबंधन महानिरीक्षक जैसे कई अहम पद खाली हैं।
इसी तरह IPS के 149 पद सृजित हैं। इनमें से 113 ही कार्यरत हैं। इनमें से 22 IPS केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए हुए हैं। केंद्रीय तैनाती पर गए IPS में DG से लेकर SP स्तर तक के अफसर हैं।
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सीएम ने लिखा था पीएम को पत्र –
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कुछ महीनों पहले PM नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि एक तो पहले से ही राज्यों में अखिल भारतीय स्तर के अधिकारियों की कमी होती है। मात्र 3 कैटेगरी IAS, IPS और IFS अफसर ही राज्यों को मिलते हैं। अगर केंद्र सरकार इन्हें भी अपनी इच्छानुसार राज्य से हटा देगी तो प्रदेश की योजनाएं प्रभावित होंगी।
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