लखनऊः समुद्री गतिविधियां ला नीना और अल नीनो दोनों इस बार दिखाई दे रही हैं। ला नीना के चलते जहां इन दिनों कानपुर सहित मैदानी इलाकों में गलन महसूस हो रही है तो वहीं अल नीनो के आने की भी संभावना है। इससे आने वाले गर्मियों के महीनों में भीषण गर्मी पड़ने के आसार बन रहे हैं। इस प्रकार भीषण सर्दी के बाद अब लोगों को लू के थपेड़ों का भी सामना करना पड़ेगा। चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पाण्डेय के अनुसार समुद्री गतिविधि ला नीना के चलते इस बार लोग कड़कड़ाती ठंड से परेशान हैं, लेकिन यह परेशानी जल्द दूर हो जाएगी। इसके बाद जो मुश्किल का अनुमान है वह ज्यादा डराने वाला है।
मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अल नीनो पैटर्न के कारण इस बार देश में लू और बेहिसाब गर्मी पड़ सकती है। यही नहीं, इसका असर मानसून पर भी पड़ने का अनुमान है। वहीं ला नीना के कारण उपमहाद्वीप में मौसम काफी ठंडा रहा। इसका असर भूमध्य प्रशांत क्षेत्र में भी पड़ा है। विशेषज्ञ का मानना है कि अभी अल नीनो का असर दक्षिणी हिस्से में महसूस किया जा रहा है। इसके कारण मध्य और पश्चिमी प्रशांत महासागर की सतह पर तापमान में बदलाव दिख रहा है। इससे अल नीनो का असर बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है और गर्मियों के महीनों में लू का विकराल रुप हो सकता है। फिलहाल मार्च तक ला नीना का असर बने रहने की संभावना है जिससे इन दिनों अधिक गर्मी नहीं पड़ेगी। इसके बाद अल नीनो सक्रिय हो जाएगा और गर्मी में बढ़ोत्तरी होगी।
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ला नीना और अल नीनो में अंतर
मौसम वैज्ञानिक के अनुसार अल नीनो का प्रयोग प्रशांत महासागर के सतह के ऊपर तापमान में होने वाले बदलाव से संबंधित है। प्रशांत महासागर के सतह पर होने वाले बदलाव का असर दुनियाभर में मौसम पर पड़ता है। अल नीनो से तापमान गर्म होता है जबकि ला नीना के कारण तापमान ठंडा होता है। प्रशांत महासागर इलाके में बदलते तापमान के असर को अल नीनो के रूप में जाना जाता है। इसके कारण समुद्री सतह का तापमान पांच डिग्री तक बढ़ सकता है। बताया कि जुलाई से अगस्त के बीच में अल नीनो आता दिख रहा है। पिछले साल भी अल नीनो के कारण भीषण गर्मी पड़ी थी।
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