Tuesday, November 26, 2024
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वीरांगना नीरा आर्य का बनेगा स्मारक, नेता जी सुभाषचंद्र बोस की जान बचाने के लिए कर दी थी अपने पति की हत्या

बागपतः अंग्रेजों के अत्याचार और भारत सरकार की उपेक्षा के शिकार खेकड़ा की वीरांगना नीरा आर्य को जल्द ही पहचान मिलने वाली है। नेताजी शुभाष चंद बोस के साथ आजाद हिंद फौज की इस वीरांगना ने देश के लिए अपने पति की भी हत्या कर दी थी। गुमनामी में खोई नीरा आर्य को देश के सामने लाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार व मातृभूमि सेवा संस्थान के संयोजक तेजपाल सिंह धामा ने नीरा आर्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां जिलाधिकारी को दी है। अब जल्द ही खेकड़ा में नीरा आर्या का स्मारक बनेगा और उनकी मूर्ति की स्थापना होगी। साथ ही हैदराबाद के मंदिर में रखा उनकी अस्थि कलश व अन्य महत्वपूर्ण सामान को भी खेकड़ा में संग्रहित होंगे।

नीरा आर्य को भी मिला था सर्वश्रेष्ठ सैनिक का खिताब

दरअसल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना में सर्वश्रेष्ठ सैनिक का खिताब पाने वालो में एक नाम नीरा आर्य भी शामिल रही है। जिन्होंने आजादी के लिए अपने पति को कुर्बान कर दिया था। अंग्रेजों के अत्याचार सहकर गुमनामी में खोई नीरा आर्य को अगर आज पहचान मिली है तो उसका श्रेय साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा को जाता है। जिन्होंने इस वीरांगना के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को देश के सामने रखा है। तेजपाल सिंह धामा मूल रूप से खेकड़ा के रहने वाले हैं। तेजपाल सिंह धामा ने अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल पर एक फ़िल्म भी बनाई है। उनकी एक पुस्तक अग्नि की लपटों पर बॉलीवुड ने पद्मावत फिल्म बनाई। जल्द ही उनकी एक बड़े बजट की फिल्म देश के सामने आएगी।

अपने पति की कर दी थी हत्या

नीरा आर्य सुभाषचंद्र बोस की रानी झांसी रेजीमेंट की सिपाही थीं। उन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप लगाया था। नीरा आर्य का जन्म पांच मार्च 1902 को बागपत के खेकड़ा में हुआ था। पांच वर्ष की आयु में उनके माता-पिता का महामारी में निधन हो गया था। इसके बाद सेठ छज्जूमल नीरा को गोद लेकर कलकत्ता चले गए थे। नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत के सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ। नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने पति की हत्या कर दी थी। इस मामले में उन पर लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन उन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई, जहां उन्हें घोर यातनाएं दी गईं। 26 जुलाई 1998 को हैदराबाद में उनकी मौत हो गई थी।

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