नई दिल्लीः मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनायी जाती है। भगवान दत्तात्रेय के स्मरण मात्र से ही भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते है। भगवान दत्तात्रेय को स्मृतिगामी भी कहा जाता है। भगवान दत्तात्रेय ऋर्षि अत्री और माता अनुसूया के पुत्र हैं। भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार हैं। भगवान दत्तात्रेय के तीन मुख और छह हाथ है। उनके तीन मुख वेदों के गान और छह भुजाएं सनातन परंपरा के संरक्षण को समर्पित हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय की आराधना से पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। भगवान दत्तात्रेय के नाम से ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरूओं से शिक्षा ली। उनके 24 गुरूओं में पृथ्वी, कबूतर, पिंगला वैश्या, वायु, सूर्य, समुद्र, पतंगा, हिरण, आकाश, हाथी, जल, छत्ते से शहद निकालने वाला, कुरर पक्षी, मछली, आग, बालक, चंद्रमा, कन्या कुमारी, सांप, तीर बनाने वाला, मकड़ी, भृंगी कीड़ा, भौंरा और अजगर शामिल है। इन सभी से भगवान दत्तात्रेय ने जीवन की अलग-अलग शिक्षाएं ली।
भगवान दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि
दत्तात्रेय जयंती के दिन प्रातःकाल नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान दत्तात्रेय के चित्र या मूर्ति को श्वेत आसन पर स्थापित करें और गंगा जल से उनका अभिषेक करें। इसके बाद दीप, धूप, फूल, नैवेद्य अर्पित करें। भगवान दत्तात्रेय को श्वेत रंग अतिप्रिय है। इसीलिए उन्हें पूजन के समय सफेद रंग के फूल और मिष्ठान अर्पित करना चाहिए। इसके बाद इनके मंत्रों का जाप कर, पूजन के अंत में दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
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भगवान दत्तात्रेय के मंत्र
1-बीज मंत्र-ॐ द्रां।
2- तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र-ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नमः
3- दत्त गायत्री मंत्र-ॐ दिगंबराय विद्महेयोगीश्रारय्धीमही तन्नो दतः प्रचोद
4-दत्तात्रेय का महामंत्र-दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा
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