कोलकाता: उत्तर 24 परगना के संदेशखाली इलाके में हिंसा (Sandeshkhali violence) का असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। 5 जनवरी को स्थानीय तृणमूल नेता शेख शाहजहां के घर पर छापेमारी करने गई ईडी की टीम पर एक हजार से ज्यादा लोगों ने हमला कर दिया था। इसके बाद से इलाके में लगातार कई घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले एक पखवाड़े से पूरे क्षेत्र में महिलाएं सड़कों पर हैं। पूरे देश में आगजनी, तोड़फोड़, विरोध प्रदर्शन और नेताओं का आंदोलन हुआ है। कुल मिलाकर आज संदेशखाली पूरी दुनिया में सुर्खियों में है और इस माहौल का सबसे ज्यादा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है।
हमेशा रहा है डर का माहौल
हालात कितने खराब हो गए हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभिभावकों ने बच्चों के एक ग्रुप को यहां से 180 किलोमीटर दूर पूर्वी मेदिनीपुर में पढ़ाई के लिए भेज दिया है। संदेशखाली के कई बच्चे महिषादल के नटशाला स्थित आवासीय विद्यालय में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। यहां के एक अभिभावक ने बताया कि यह इलाका लंबे समय से गुंडागर्दी और अपराध का गढ़ रहा है। ऐसा नहीं है कि ऐसा माहौल पहली बार बना है बल्कि यहां हमेशा डर का साया बना रहता है। इसलिए बच्चों को दूसरी जगह पलायन करना पड़ा।
बढ़ी संख्या में पलायन कर रहे छात्र
अधिकांश छात्र दक्षिण 24 परगना के नजदीकी जिले डायमंड हार्बर में नूरपुर जेट्टी घाट के पास स्कूल जाते हैं। यह 12 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए बच्चों को नदी पार करनी पड़ती है, लेकिन शांति की तलाश में बड़ी संख्या में छात्र यह इलाका छोड़कर यहां पढ़ने जाते हैं। नटशाला रामकृष्ण मिशन आश्रम के अध्यक्ष शुमजीत मैती ने कहा कि संदेशखाली में रामकृष्ण मिशन की एक शाखा है।
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वहां नौ छात्रों और एक अभिभावक को आवास दिया गया है। 15 दिन पहले से ही यहां छात्रों की भीड़ जुट रही है, जिनके लिए पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। नटशाल हाई स्कूल के प्राचार्य विप्रा नारायण पांडा ने बताया कि कक्षा पांच से कक्षा नौ तक के करीब 30 विद्यार्थी संदेशखाली से स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेकर आये हैं और उनका प्रवेश कराया जा रहा है।
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