नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईआईटी खड़गपुर के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंगलवार को संबोधित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने छात्रों को स्व-जागरुकता, आत्मविश्वास और नि:स्वार्थ का तीन मंत्र दिया।
उन्होंने कहा कि छात्र अपने सामर्थ्य को पहचान कर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें। जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे, ये रास्ता सही है, गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? ऐसे बहुत से सवाल आएंगे। सभी, साइंस, टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है। आपने जो सोचा है, आप जिस इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा, क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स हो या फिर मॉडर्न कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी, आईआईटी खड़गपुर प्रशंसनीय काम कर रहा है। कोरोना से लड़ाई में भी आपके सॉफ्टवेयर समाधान देश के काम आ रहे हैं। अब आपको हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस को लेकर भी तेज़ी से काम करना है। आज भारत उन देशों में से है, जहां बहुत सोलर पावर की कीमत प्रति यूनिट बहुत कम है। लेकिन घर-घर तक सोलर पावर पहुंचाने के लिए अब भी बहुत चुनौतियां हैं। भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी चाहिए जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए, टिकाऊ हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के भारत की स्थिति भी बदल गई है, ज़रूरतें भी बदल गई हैं और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। अब आईआईटी को इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी ही नहीं, इस्टीट्यूट ऑफ इंडिजीनस टेक्नोलॉजी के मामले में नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की जरूरत है। इस कैंपस से निकलकर आपको सिर्फ अपना नया जीवन ही स्टार्ट नहीं करना है, बल्कि आपको देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले स्टार्ट अप भी बनाने हैं। इसलिए ये जो डिग्री, ये जो मेडल आपके हाथ में है, वो एक तरह से करोड़ों आशाओं का आकांक्षा पत्र है, जिन्हें आपको पूरा करना है। इंजीनियर होने के नाते एक क्षमता आप में विकसित होती है और वो है चीजों को पैटर्न से पेटेंट तक ले जाने की क्षमता। यानी एक तरह से आपमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की दृष्टि होती है।