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करें काले चावल की खेती, हो जाएंगे मालामाल

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लखनऊः सरकार किसानों को समृद्ध बनाने के लिए मुनाफे वाली खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को अब लाभ भी मिल रहा है। चंदौली का काला चावल यानी ब्लैक राइस, किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है। राजधानी के मलिहाबाद और बीकेटी के साथ ही अब बाराबंकी के किसान भी अगले सीजन में इसका उत्पादन शरू करने की तैयारी में हैं। आइए जानते हैं क्या है काला चावल और कितना मुनाफा दे रही है इसकी खेती।

दरसअल, विशेष प्रकार के तत्व एथेसायनिन के कारण काले चावल का रंग काला होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इसमें एंटीआक्सीडेंट ज्यादा होता है। यही नहीं इसमें विटामिन-ई, फाइबर और प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मोटापा दूर करने में यह काफी लाभकारी माना जाता है। यह हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्राल, आर्थराइटिस, एलर्जी आदि से जूझ रहे मरीजों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। इसमें फाइटो केमिकल की मौजूदगी कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार होती हैं। इसके सेवन से हार्ट अटैक की संभावना काफी कम हो जाती है।

प्रतिरोधक क्षमता को करता है मजबूत

आयुर्वेद के जानकार बताते हैं कि काले चावल के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विशेष एंटी आक्सीडेंट त्वचा और आंखों के लिए और फाइबर पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होता है। मौजूदा वक्त में यूपी के मिर्जापुर जिले में लगभग 250 किसान इसकी खेती कर रहे हैं। वहीं चंदौली जिले में इस साल करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर किसानों ने काला चावल की खेती की है। कृषि के जानकार बताते हैं कि काले धान की खेती में 8-10 कुंतल प्रति बीघे की पैदावार संभव है। काला चावल 285 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है।

एक एकड़ में 25 हजार की लागत

काले चावल की खेती कर रहे किसानों की मानें तो इसकी खेती पानी की बचत में भी मददगार है। इस चावल की खेती में 20-25 हजार रुपए प्रति एकड़ की लागत आती है। यह धान के दूसरे किस्मों की तरह ही 120-130 दिन की होती है।

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350 रुपये प्रति किलो की बिक्री

इस चावल की मांग देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी खूब है। देश के तमिलनाडु, बिहार, राजस्थान, मुंबई, हरियाणा सहित कई राज्यों में इसकी अच्छी-खासी मांग है। मौजूदा वक्त में ऑनलाइन यह लगभग 300-350 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है।