Friday, November 22, 2024
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केंद्र की तर्ज पर जल्द बनेगा स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति आयोग, सीएम शिंदे ने दी मंजूरी

नई दिल्लीः मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र के लिए एक स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी है। शिंदे की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य जनजातीय सलाहकार परिषद में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी है। इसके साथ ही इस बैठक में राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन, जनसंख्या के अनुसार धन का प्रावधान, आदिवासी जिलों की तहसीलों में परियोजना कार्यालय शुरू करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस बैठक में उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल, आदिवासी विकास मंत्री डॉ. विजयकुमार गावित, खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री धरम राव बाबा अत्राम और आदिवासी क्षेत्रों के सांसद और विधायक उपस्थित थे।

दिसंबर तक मिल जाएगा पूरा फंड

राज्य के लिए स्वतंत्र अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना के संबंध में विधि एवं न्याय विभाग की राय ली गई और इस आयोग के अधिनियम का प्रारूप जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार किया गया है। बुधवार को हुई राज्य जनजातीय सलाहकार परिषद की 51वीं बैठक में इसे आगे की कार्रवाई के लिए मंजूरी दे दी गई।

जनजातीय विभाग के लिए निर्धारित राशि संबंधित वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं होने पर लैप्स हो जाती है। बैठक में इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा हुई। दिसंबर के अंत तक पूरा फंड विभाग को वितरित करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने इस राशि को कहीं और डायवर्ट नहीं करने का निर्णय लिया। यह भी निर्णय लिया गया कि आदिवासी क्षेत्रों में होने वाले कार्य गुणवत्तापूर्ण हों, सड़क, आश्रम विद्यालय, छात्रावास के कार्य भी गुणवत्तापूर्ण हों और इसके लिए संबंधित क्षेत्र के सांसद और विधायक इन कार्यों में समन्वय स्थापित करें।

लिए गए कई अन्य निर्णय

इस अवसर पर प्रदेश के 11 अति संवेदनशील परियोजना कार्यालयों में परियोजना अधिकारी के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पूर्णकालिक नियुक्ति के संबंध में भी चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि परियोजना अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र के आश्रम विद्यालयों का नियमित भ्रमण करें। आदिवासी बहुल जिलों में तहसील स्तर पर परियोजना कार्यालय बनाने को भी मंजूरी दी गई। इस अवसर पर राज्य की आदिवासी तहसीलों को आकांक्षी तहसील घोषित करने का भी निर्णय लिया गया।

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राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन के प्रस्ताव पर चर्चा की गयी। वर्तमान में राज्य के 13 जिलों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है, जिनमें से 23 तहसीलें पूर्णतः अनुसूचित तहसीलें तथा 36 तहसीलें आंशिक रूप से अनुसूचित तहसीलें हैं। अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन के प्रस्ताव में नये गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया।

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