हमीरपुरः उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में 28 वर्ष पुराने दोहरे हत्याकांड के मामले में कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया। स्पेशल कोर्ट ने मामले के 17 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जिले के ग्राम चकोठी में 16 मार्च, 1994 को पुरानी रंजिश के चलते जसवंत और मोतीलाल की धारदार हथियार और गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। पीड़ित पक्ष के रमेशचन्द्र ने 26 लोगों के खिलाफ कुरारा थाने में हत्या एवं दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन फरार चल रहे हैं, जबकि लाला उर्फ ब्रजमोहन का वाद किशोर न्यायालाय बोर्ड में विचाराधीन है। यह फैसला स्पेशल कोर्ट (एससी/एसटी) के जज मोहम्मद असलम ने सुनाई।
ये भी पढ़ें..अब तक के सबसे भीषण गोलीकांड से हर ओर दहशत और आक्रोश, एनएच जाम
लोक अभियोजक विजय सिंह ने बताया कि 16 मार्च, 1994 को रमेशचंद्र निवासी चकोठी घर जा रहा था। तभी सुरेंद्र सिंह हाथ में रायफल, रामऔतार दोनाली, वीर सिंह बंदूक, राजेंद्र बाबू हाथ में बंदूक, दद्दू दोनाली, लाला हाथ में फरसा, विजय सिंह के हाथ में तमंचा, भूर सिंह के हाथ में दोनाली, जाहर सिंह के हाथ में असलहा, पुतान सिंह के हाथ में कुल्हाड़ी, राजेंद्र सिंह के राथ में तमंचा, भीकम सिंह के हाथ में एकनाली, छोटा के हाथ में अद्धी, ओंमकार के हाथ में तमंचा, अर्जुन सिंह व भरत सिंह एवं महराज के हाथ में तमंचा, इंद्रपाल सिंह के हाथ में भाला, सूरज सिंह के हाथ में कुल्हाड़ी, लाला व पप्पू के हाथ में तमंचा, संतोष सिंह पुत्र महेंद्र निवासी झलोखर के हाथ में रायफल, शिवबदन के हाथ में तमंचा, कामता सिंह, छुटभाई हाथ में तमंचा व कुल्हाड़ी एवं कुछ बाहरी बदमाशों ने उसके दरवाजे आकर भाई जसवंत को गोलियों से छलनी कर दिया और चार हजार रुपये लूट लिये। भाई जसवंत को मारने के बाद उक्त मुल्जिमान गांव के मोतीलाल पुत्र सुनवा को गांव से खदेड़कर ले गए, जो अपनी जान बचाकर रिठारी की तरफ भागा। मोतीलाल को रिठारी के फूला के घर में गोली मारी फिर फरसे से हत्या कर दी।
स्पेशल जज (एससी/एसटी) मोहम्मद असलम ने जसवंत एवं मोतीलाल की हत्या के मामले में वीर सिंह, जाहर सिंह, भीष्म सिंह, भारत, महाराज, भूरा, इंद्रपाल, पप्पू उर्फ रणजीत, कामता, छुटकाई, शिवबदन सिंह, विजय सिंह, ओंकार सिंह, राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह औक दद्दू उर्फ बृजकिशोर को हत्या एवं दलित उत्पीड़न का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। उन्होंने बताया कि रामऔतार सिंह, सूरज सिंह, देव सिंह उर्फ लाला, छोटे सिंह एवं संतोष की मौत हो चुकी है, जबकि लाला उर्फ बृजमोहन का वाद किशोर न्यायालय में विचाराधीन है। राजनबाबू, पुतान एवं रामाधीन कोर्ट में हाजिर नहीं हुए, जिससे उनकी पत्रावली अलग कर दी गई।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)