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ईरान ने एक कैप्सूल के जरिए अंतरिक्ष में भेजे जानवर, अब इंसानों को भेजने की तैयारी

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space तेहरानः ईरान ने एक कैप्सूल में जानवरों को अंतरिक्ष (space ) भेजा है। ईरानी सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इसके तहत देश आने वाले सालों में इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। ईरान के संचार मंत्री ईसा जारेपोर ने कहा कि रॉकेट सलमान से इस कैप्सूल को लॉन्च किया गया है। इस कैप्सूल का वजन 500 किलोग्राम (1,000 पाउंड) है तथा आने वाले समय में इससे लोगों को अंतरिक्ष में भेजना जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कैप्सूल में कौन से जानवर थे।

2013 में एक बंदर को भेजा गया था अंतरिक्ष

एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने 2013 में एक बंदर को अंतरिक्ष में भेजा था, जो कि सफलतापूर्वक वापस पृथ्वी पर लौट आया था। इसी के तहत ईरान ने 2010 में भी एक कछुए, चूहे और कीड़ों को अंतरिक्ष में भेजा था, लेकिन यह अभियान असफल रहा था। 2009 में पहली बार ईरान ने अपने देश में बना उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा था। वहीं, सितंबर 2023 में ईरान ने अंतरिक्ष डेटा एकत्रित करने के उद्देश्य से एक उपग्रह लॉन्च किया था। ईरानी संचार मंत्री के मुताबिक वह साल 2029 तक इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ईरानी सेना ने रॉकेट सलमान को डिजाइन किया है। वहीं, कैप्सूल को ईरान सिविल स्पेस एजेंसी ने बनाया है। उन्होंने यह जानकारी नहीं दी की कैप्सूल को किस स्थान से लॉन्च किया गया है। बता दें कि, ईरान आमतौर पर उत्तरी सेमनान प्रांत में इमाम खुमेनेई अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्चिंग करता है। ये भी पढ़ें..दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं लिस्ट में इन 4 भारतीयों का दबदबा, फोर्ब्स ने जारी सूची

पहली बार चिम्पैंजी ‘हैम’ ने हासिल की थी सफलता

चिम्पैंजी पहला जानवर था, जिसने 31 जनवरी 1961 में सर्वप्रथम अंतरिक्ष यात्रा की थी। बता दें कि, इस चिम्पैंजी का नाम हैम था। इस चिम्पैंजी के बाद ही इंसान का अंतरिक्ष का सफर शुरू हुआ था। हैम चिम्पैंजी को 31 जनवरी 1961 को अंतरिक्ष में भेजा गया था। दरअसल, अंतरिक्ष में सबसे पहले एक जानवर को भेजने की असल वजह यह पता करने की थी कि वहां इंसान के जाने पर उस पर किस तरह के प्रभाव हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार हैम का जन्म 1957 में हुआ था और उसे कैमरून के जंगलों से पकड़ा गया था। इसके बाद उसे अमेरिकी शहर फ्लोरिडा ले जाया गया, जहां 1959 से उसे अंतरिक्ष में जाने की ट्रेनिंग के लिए अमेरिकी एयरफोर्स बेस भेज दिया गया। ऐसे में लॉन्च वाले दिन उड़ान भरने के करीब 16 मिनट 30 सेकेंड बाद हैम अंतरिक्ष में पहुंच चुका था। उसने 5,800 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 157 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भरी।

हैम का कैप्सूल 130 किमी की दूरी पर अटलांटिक महासागर में जा गिरा था

उड़ान के दौरान दबाव के कारण हैम के कैप्सूल को नुकसान पहुंचा था, लेकिन हैम के स्पेस सूट ने उसे बचा लिया। साथ ही धरती पर वापस लौटते वक्त हैम का कैप्सूल 130 किमी की दूरी पर अटलांटिक महासागर में जा गिरा। उसे बचाने के लिए कुछ ही घंटे में एक जहाज मौके पर पहुंचा, जिसने हैम को कैप्सूल से जिंदा निकालने में सफलता हासिल की। अंतरिक्ष से वापसी के बाद हैम को 1963 में वॉशिंगटन के ‘नेशनल जू’ भेज दिया गया था। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)