Diwali 2023, लखनऊः दीपावली खुशियों और रोशनी का पर्व है। दीपावली का पर्व हम भगवान श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौट आने की खुशी में मनाते है। दिवाली पर कई लोग तेज आवाज वाले पटाखे जलाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण प्रदूषित होता है। हमें पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता अभियान का ध्यान रखना चाहिए। एक कहावत भी बहुत प्रसिद्ध है। “अधिक सफाई, कम दवाई।” जहां स्वच्छता होगी, वहाँ उत्तम स्वास्थ्य और लक्ष्मी का वास तो होगा ही।
दीपावली के आस पास के दिनों में होने वाली सफाई, पुताई और रंगाई के दौरान निकलने वाली धूल सांस के रोगियो की तकलीफ बढ़ा देती है। दीपावली को होने वाली आतिशबाजी भी वायु प्रदुषण को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से सांस के रोगियों के लिए परेशानी बढ़ जाती है। आतिशबाजी से होने वाले प्रमुख प्रदूषण हैं – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इस बारे में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने इस बारे में विस्तार से बताया।
श्वसन तंत्र पर आतिशबाजी के दुष्प्रभाव
डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि दीपावली के दिनों में सांस के रोगी जहां तक हो घर के अन्दर रहें, पानी और पेय पदार्थ का भरपूर सेवन करें, तथा भाप लें। साथ ही दमा के रोगी अपनी दवायें व इनहेलर नियमित रूप से लें और दीपावली के दिनों में अगर परेशानी ज्यादा बढ़ जाए तो जरूरत पड़ने पर तुरन्त अपने चिकित्सक से सलाह लें। इसके अतिरिक्त दीपावली के दौरान सफाई, धुलाई व पेंट के समय सांस के रोगी को बच कर रहना चाहिए क्योंकि इस धूल, गर्दा, व पेंट की महक से सांस का दौरा पड़ सकता है।
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हृदय रोगियों के लिये कुछ सावधानियां
डॉ. सूर्यकान्त हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और सभी हृदय रोगियों को सलाह देते हुए कहते है कि पटाखों की जबरदस्त ध्वनि सुनने से दिल पर जोर पड़ सकता है। इसलिए हृदय रोगियो को वैसे तो आतिशबाजी से दूर ही रहना चाहिए लेकिन अगर फिर भी देखना चाहे तो कान में रूई लगालें व हो सके तो दूर से ही धमाकेदार आतिशबाजी देंखे।
आंखो का बचाव
डॉ. सूर्यकांत ने दीपावली पर पटाखा छोड़ने वालों को सलाह दी है कि आँख मे लगने पर आँख को रगड़ने या मलने से बचना चाहिए, साथ ही आँख मे धसी चीज को निकालने की कोशिश भी न करें। आंख जल जाने पर अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोयें फिर जली आँख को पानी से दस मिनट तक धोये और अतिशीघ्र डाक्टर की सलाह के लिए पीड़ित को दिखायें।
त्वचा संम्बंधित कुछ विशेष उपाय
दीपावली पर डॉ सूर्यकांत ढीले-ढाले और सिंथेटिक कपड़ों के स्थान पर चुस्त और मोटे-सूती कपड़े पहनने की सलाह देते है। अक्सर देखा गया है कि पटाखें रगड़ खाने से ही फट जाते हैं इस लिए पटाखों को जेब में रखने से बचना चाहिए। अगर कोई अनहोनी हो जाए तो जली हुई जगह पर से तुरंत कपड़ा हटा दें और उस जगह पर ठंडा पानी डालें। जले स्थान पर खुद से कोई इलाज न करें जैसे मक्खन, चिकनाई, टेल्कम पाउडर या अन्य कोई चीज न लगायें।
कुछ अन्य सावधानियां और बचाव
सुरक्षा की दृष्टि व पर्यावरण की रक्षा के लिए वैसे तो पटाखों से दूर ही रहें लेकिन अगर फिर भी पटाखे दगाने का मन हो तो इसका मजा खुले स्थान पर सावधानी से लें। हो सके तो केवल ग्रीन पटाखों को ही उपयोग में लाएं। धातु या शीशे पर रखकर पटाखे को जलाने का कोई खतरनाक करबत न करें। ज्वलनशील चीजों से पटाखों को दूर रखें। बच्चों, बुजर्गों, बीमार लोग व गर्भवती महिलाएं पटाखों के चलने के समय घर के अंन्दर ही रहे।
पानी या बालू से भरी बाल्टी को आतिशबाजी वाले स्थान पर पहले से ही तैयार रखें जिससे किसी अनहोनी पर उपयोग में लाया जा सके। फूलझड़ी छुडाने के बाद इसके तार को इधर उधर फेकने के बजाय पानी की बाल्टी मे डाले। आतिशबाजी के स्थान पर इलेक्ट्रानिक आतिशबाजी का आनन्द लें। इससे शोर और वायु प्रदूषण से बचाव हो सकता है।
(रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान, लखनऊ)
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