Friday, November 22, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeआस्थाविजया एकादशी पर विष्णु स्तुति के जप से मिलती है जीवन में...

विजया एकादशी पर विष्णु स्तुति के जप से मिलती है जीवन में सफलता, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

bhagwan-vishnu1

नई दिल्लीः फाल्गुन माह की पहली एकादशी गुरूवार (16 फरवरी) को पड़ रही है। इसे विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में एकादषी का विशेष महत्व है। एकादशी के दिन व्रत कर साधक को भगवान श्रीविष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए। भक्ति भाव के साथ भगवान श्रीविष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना से जीवन के सभी कष्ट स्वतः ही दूर हो जायेंगे। साथ ही सभी कार्य कार्यो में सफलता मिलेगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी। विजया एकादशी व्रत के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ और दान-धर्म करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइए जानते हैं विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त और भगवान श्रीहरि की उपासना की पूजा-विधि।

विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 16 फरवरी 2023 को सुबह 04.02 बजे से शुरू होगा और समापन 17 फरवरी 2023 रात्रि 01.09 बजे पर होगा। पंचांग के अनुसार व्रत का पारण 17 फरवरी 2023 को सुबह 06.31 से 08.35 बजे तक किया जा सकेगा।

ये भी पढ़ें..शिवरात्रि महोत्सव पर चप्पे-चप्पे पर रहेगी पुलिस की नजर, नया ट्रैफिक…

विजया एकादशी पूजा की विधि
विजया एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर अथवा घर में ही भक्ति भाव के साथ आराध्य देव भगवान श्रीहरि की आराधना करें। पूजा की चौकी पर सर्वप्रथम पीला कपड़ा बिछायें। इसके बाद भगवान श्रीविष्णु की मूर्ति या प्रतिमा को गंगाजल जल से स्नान कराकर चौकी पर स्थापित करें और वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद भगवान को धूप, दीप, पुष्प, तुलसी दल, मिष्ठान, तिलक और मौसमी फल अर्पण करें। इसके बाद भगवान श्रीविष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और आरती अवश्य करें। संध्या पूजा के समय भी विधिवत पूजा के बाद पुनः आरती करें।

विष्णु स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ।।
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुतः स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदेः ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगाः ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदुः सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नमः ।।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें