रामचरितमानस विवाद के बीच मायावती ने दिलाई गेस्ट हाउस कांड की याद, बोलीं-अपनी गिरेबान में झांककर देखें

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BSP supremo Mayawati
BSP supremo Mayawati

लखनऊः रामचरितमानस के मुद्दे पर यूपी की सियासत में उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर एक तरफ जहां भाजपा और सपा में वाकयुद्ध जारी है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती भी इस मामले को लेकर दोनों दलों पर हमला करने में कोई कोर कस नहीं छोड़ रही हैं। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला बोला है। शुक्रवार को अपने ट्वीट में कहा कि समाजवादी पार्टी संविधान की अवहेलना न करे।

अपने ट्वीट में मायावती ने कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी-एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे और न ही संविधान की अवहेलना करे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइंसाफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं।

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गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले उन्हें 2 जून सन् 1995 की लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए। जब मुख्यमंत्री बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था। वैसे भी यह जगजाहिर है कि देश में एससी-एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की कद्र बसपा बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है। जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।

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