1993 सीरियल ब्लास्ट का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा बरी, कोर्ट ने 31 साल बाद सुनाया फैसला

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1993 Serial Blast Case, जयपुरः 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में दोषी अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) को गुरुवार को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया। इसके अलावा इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 6 दिसंबर 1993 को कानपुर, हैदराबाद, लखनऊ, मुंबई और सूरत में हुए ट्रेन बम धमाकों के तीन आरोपियों समेत सभी आरोपियों को पुलिस सुबह 11:15 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच टाटा कोर्ट परिसर में लेकर आई।

16 आरोपियों को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा

28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने 16 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया था। वहीं, बाकी आरोपियों को सुनाई गई सजा बरकरार रखी गई। 2000 में खबर आई कि टुंडा बांग्लादेश में मारा गया, लेकिन दिल्ली में लश्कर आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद पकड़ा गया, जिसने पूछताछ में बताया कि टुंडा जिंदा है।

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33 आपराधिक मामले दर्ज

2001 में संसद पर हमले के बाद भारत ने जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग पाकिस्तान से की थी, उनमें टुंडा का नाम भी शामिल था। 2013 में उसे भारत-नेपाल सीमा से पकड़ा गया था। टुंडा का असली नाम अब्दुल करीम है, लेकिन एक बार बम बनाते समय उसने अपना एक हाथ खो दिया था, जिसके बाद उसका नाम टुंडा रखा गया। उनके खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसने 1997-98 में 40 बम धमाके भी किए थे।

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