नई दिल्लीः नवरात्रि का तीसरा दिन है और यह दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां भगवती के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप दिव्य है। माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी के चलते मां को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। मां के दस हाथ हैं इनमें चारों हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवें हाथ में अभय मुद्रा और अन्य चार हाथों में गदा, कमंडल, त्रिशूल और तलवार धारण किये हुए हैं।
मां चंद्रघंटा के मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुखधाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
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हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
भक्त की रक्षा करो भवानी।
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