नई दिल्लीः हिंदू धर्म में धूप, अगरबत्ती और धूनी जलाने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में किसी भी पूजा बिना धूप, अगरबत्ती के बिना पूरी नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि धूप, अगरबत्ती या धूनी की सुगंध से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती हैं। साथ ही पूजा में इनके उपयोग से मन को भी शांति मिलती है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में पूजा और यज्ञ के साथ धूप और धूनी जलाने की परंपरा रही है। ऐसा भी माना जाता है कि धूप या धूनी जलाने से कई रोग-व्याधि भी दूर रहती है क्योंकि धूनी में कई तरह के औषधीय तत्व वाले पदार्थ डाले जाते हैं। जिससे वातावरण में मौजूद हानिकारण बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। ऐसे ही कुछ पदार्थो की धूनी नियमित तौर पर करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। जिससे घर का माहौल बेहद ऊर्जावान बना रहता है। आइए जानते हैं इन धूनी के बारे में-
लोबान की धूनी
लोबान की धूनी को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे जलाने से इसकी मनमोहक सुगंध से कई तरह की शक्तियां आकर्षित होती हैं। इसलिए इनके जलाने के कुछ नियम भी होते हैं। इसलिए लोबान की धूनी को बिना किसी की सलाह के बिना नहीं जलाना चाहिए।
कपूर और लौंग की धूनी
कपूर और लौंग में बहुत से औषधीय गुण मौजूद होते है। इनकी धूनी जलाने से वातावरण में मौजूद रोगाणुओं का नाश होता है। साथ ही इसकी सुगंध से मन को भी शांति मिलती है। इसकी धूनी से घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवेश होता है। जिससे घर में समृद्धि का भी वास होता है।
गुग्गल की धूनी
गुग्गल की सुगंध बेहद शुभ और मनोहारी होती है। पूजा के समय घर में इसकी धूनी जलाने से गृहकलह भी समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही इसकी सुगंध से कई मानसिक रोगों में भी लाभ होता है। लेकिन गुग्गल की सुगंध बेहद प्रभावशाली होने के चलते इसकी धुनी नियमित नहीं करनी चाहिए।
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दशांग धूप
दशांग धूप का इस्तेमाल सभी पूजा और यज्ञ में किया जाता है। दशांग धूप चंदन, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, कुष्ठ, नखल, लघु और क्षौद्र सभी को बराबर मात्रा में मिलाने से बनता है। दशांग धूप से वातावरण में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है और कई तरह के रोगाणुओं का नाश होने से कई बीमारियां भी दूर हो जाती है।