Thursday, November 21, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeविशेषDrug Addiction: देश की युवा आबादी, हो रही नशे की आदी

Drug Addiction: देश की युवा आबादी, हो रही नशे की आदी

Drug Addiction, लखनऊः राजधानी के युवाओं में सिगरेट-शराब का नशा ही सिर चढ़कर नहीं बोल रहा, बल्कि अब आसानी से व सस्ते कीमत पर मिलने वाले पदार्थों का भी वह जमकर उपयोग कर रहे हैं। यह नशीले पदार्थ और अधिक तेजी से सेहत बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। इनमें व्हाइटनर, नेलपॉलिश रिमूवर, सुलेशन, इंजेक्शन, मेडिकल स्टोर में मिलने वाली दवाएं, बैन की गईं दवाएं, सर्दी-खांसी में इस्तेमाल होने वाले कफ सिरप, दर्दनिवारक ऑयोडेस्क आदि का सेवन करना शामिल है।

किशोर उम्र में बच्चे सोशल मीडिया और फिल्मों के साथ दूसरों को नशा करते देखकर इस गलत राह की ओर आकर्षित हो जाते हैं। पहले शौक में और फिर धीरे-धीरे उन्हें इसकी आदत लग जाती है। वे इसके खतरों से अंजान होते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि प्रतिबंधित होने के बावजूद उनको आसानी से ये पदार्थ मिल जाते हैं।

नशे के लिए युवा आसानी से मिल जाने वाले टैबलेट से लेकर कफ सिरप और इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं। बिना डॉक्टर के पर्चे के मेडिकल स्टोर से इस तरह की दवाइयां, इन्जेक्शन व कफ सीरप बेचे नहीं जा सकते लेकिन कई बार दुकानदारों से जान-पहचान बना कर युवा इसे आसानी से खरीद लेते हैं।

नशे के इन जानलेवा चीचों का इस्तेमाल कर रहे युवा

इसके अलावा आसानी से मिल जाने वाली वस्तुएं युवाओं के लिए घातक सिद्ध हो रही हैं। तमाम युवा पेट्रोल सूंघने के आदी है। पेट्रोल की गंध सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालती है, जिसकी वजह से चलते दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई रुक सकती है। खतरे के बावजूद कुछ युवा इसे नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

नेल पॉलिश रिमूवर का भी इस्तेमाल नशे के लिए बहुतायत किया जा रहा है। इसे दूसरों की नजरों में आए बिना ही युवा आसानी से प्रयोग करते हैं। युवा इसे रूमाल पर छिड़ककर सूंघते हैं। रिमूवर की शीशी भी 20 से 40 रुपए में आसानी से दुकानों पर मिल जाती है। व्हाइटनर भी बाजार में आसानी से उपलब्ध है। युवा इसे खरीद लेते हैं और फिर पीकर या सूंघकर नशा करते हैं।

ये भी पढ़ें..अब एक क्लिक पर सामने होगी अपराधी की पूरी कुंडली, UP Police ने लॉन्च किया त्रिनेत्र 2.0

जीवन को खतरे में डाल रहे युवा

हालांकि, अगर इस नशे को रोज करने की लत लग जाए तो जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा बाजार में सर्दी-खांसी के लिए बिक रहे ऐसे कई सारे कफ सिरप हैं, जो बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन से आसानी से मिल जाते हैं, जिसे युवा नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कफ सिरप में अल्होहल की मात्रा होती है इसलिए सीरप की ओवरडोज से नशा चढ़ता है।

सुलेशन को युवा रूमाल में डालकर या ट्यूब में एक छोटा सा छेद कर उसे सूंघते रहते हैं। इससे वह दिन भर नशे में रहते हैं। कुछ युवा तो इसका सेवन खाने के लिए भी करते हैं। कई बार ओवरडोज की वजह से वह अचेत भी हो जाते हैं। तमाम युवा दर्द निवारक दवा आयोडेक्स को भी नशे के लिए यूज करते हैं। इसे ब्रेड या रोटी में बटर की जगह इस्तेमाल कर सेवन करते हैं।

नशे की वजह से प्रति सात सेंकेड में होती है एक मौत

एक रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति सात सेंकेड में नशे की वजह से एक मौत होती है। सिगरेट का सेवन करने वाले शायद यह नहीं जानते कि एक सिगरेट जीवन के नौ से दस मिनट कम कर देता है। एक बार के गुटखा सेवन से या तम्बाकू के सेवन से तीन से पांच मिनट की जिन्दगी कम हो जाती है। फेफड़ों के कैंसर की प्रमुख वजह नशा ही है। फेफडों के कैंसर के कुल मरीजों के 90 फीसदी मरीज नशे के आदी होते हैं। शरीर को लगने वाली 25 फीसदी बीमारियों का कारण नशा होता है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें