प्रदेश राजनीति

मिशन 2024ः तमिलनाडु में अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाएगी अन्नाद्रमुक

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चेन्नई :
अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) के महासचिव के रूप में एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने 11 जुलाई को हुई पार्टी की आम परिषद में भारी जीत हासिल की थी। उनकी इस जीत ने वरिष्ठ नेता ओ. पन्नीरसेल्वम समेत पार्टी को अपने राजनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, अन्नाद्रमुक ने 2024 के आम चुनावों के उद्देश्य से तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी के साथ बातचीत शुरू कर दी है, जिससे साफ है कि वह भाजपा के साथ संबंध तोड़ना चाहती है। तमिलनाडु में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए एआईएडीएमके ने एडप्पादी के. पलानीस्वामी के नेतृत्व में अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है।

तमिलनाडु भाजपा के प्रमुख के रूप में के. अन्नामलाई ने पार्टी को राज्य में अपनी बढ़त हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। अन्नामलाई के नेतृत्व में भाजपा एक आक्रामक राजनीतिक आंदोलन के रूप में बदल रही है। अन्नाद्रमुक के सूत्रों ने बताया कि अगर पार्टी एनडीए के साथ अपना गठबंधन जारी रखती है, तो तमिलनाडु की राजनीति में उसके दरकिनार होने की संभावना ज्यादा है।

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मदुरै स्थित सामाजिक-आर्थिक विकास फाउंडेशन के निदेशक डॉ. जी. पद्मनाभन ने कहा, "तमिलनाडु की राजनीति में अन्नाद्रमुक को अपनी पहचान बनाने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों के साथ गठबंधन करना होगा और अन्नाद्रमुक अब इस लूप से बाहर हो गई है। दूसरी ओर, पार्टी हिंदुत्व की राजनीति के साथ पीछे नहीं रह सकती, भाजपा अन्नामलाई के जरिए लोगों के बीच अपनी पहचान बना रही है। ऐसे में अन्नाद्रमुक पर अधिक दवाब बढ़ गया है।"

अन्नाद्रमुक ने 2019 के आम चुनावों में 38 सीटों में से एक सीट जीती थी। ओ. पन्नीरसेल्वम के बेटे ओ.पी. रवींद्रनाथ ने थेनी लोकसभा सीट से विजय प्राप्त की थी। उन्हें अब पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। यानी अब पार्टी का संसद में कोई निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। अन्नाद्रमुक आम परिषद चुनावों में पक्की जीत के बाद, एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक विचार-मंथन सत्र आयोजित किया। इसमें एनडीए संग संबंधों और 2024 के आम चुनावों को लेकर बात की गई। तमिलनाडु की कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा : "अगर हम एक उचित राजनीतिक पार्टी संग गठबंधन नहीं करते हैं तो तमिलनाडु में कांग्रेस हाशिए पर चली जाएगी। अन्नाद्रमुक और कांग्रेस दोनों गठबंधन करें और नए मोर्चे के साथ प्रयास करें। यह प्रयास 2026 के विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने जीत दिला सकता है।"

लोकसभा में तमिलनाडु से कांग्रेस के 7 सांसद हैं, जबकि अन्नाद्रमुक के पास केवल एक सांसद है जो अब निष्कासित है। इसका मतलब यह होगा कि कांग्रेस से अधिक सौदेबाजी और विधानसभा में अपने प्रचंड बहुमत के साथ द्रमुक अधिक सीटों के लिए कांग्रेस की मांगों पर विचार नहीं करेगी, इसलिए अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करना बेहतर विकल्प होगा। अन्नाद्रमुक को उनके राजनीतिक रणनीतिकार ने भी सलाह दी है कि पार्टी राजनीतिक सुर्खियों में तभी आएगी, जब उसे अल्पसंख्यक वोट हासिल करने होंगे और उसके लिए सबसे अच्छा विकल्प भाजपा के साथ संबंध तोड़ना और नए सहयोगियों की तलाश करना था। कांग्रेस वर्तमान में अन्नाद्रमुक के लिए सबसे अच्छी सहयोगी है। कांग्रेस अन्नाद्रमुक से अधिक सीटों के लिए सौदेबाजी कर सकती है और तमिलनाडु के अधिकतम सांसदों को वापस कर सकती है।

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