Thursday, December 12, 2024
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Bangladesh Violence: अशांति और मंदी से भारत पर पड़ रहा बुरा असर

Bangladesh Violence : बांग्लादेश में चल रही सामाजिक अशांति और आर्थिक मंदी का असर कोलकाता के पुस्तक प्रकाशन उद्योग पर साफ दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के बंगाली लेखकों की किताबें खरीदने और बेचने वाले पाठकों की संख्या में कमी आई है। कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले (Kolkata International Book Fair) में बांग्लादेशी किताबों का मंडप न होने और हाल के दिनों में करीब 40 फीसदी ‘फ्लोटिंग’ पाठकों के कम होने से यह समस्या और बढ़ गई है।

Bangladesh Violence: चिंतित हुए प्रकाशक

कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट (College Street) के पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि निर्यात और आयात पर कोई खास असर नहीं पड़ा है और नियमित पाठकों की संख्या में भी कमी नहीं आई है। लेकिन, बांग्लादेशी लेखकों की किताबों की बिक्री में गिरावट ने प्रकाशकों को चिंता में डाल दिया है। दे पब्लिशिंग के निदेशक सुदीप दे ने कहा कि समर्पित पाठक अब भी आते हैं, लेकिन 30-40 फीसदी नए या अचानक आने वाले खरीदार अब नहीं आ रहे हैं। विक्रेताओं ने कहा कि यह गिरावट पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में अस्थिरता और हाल में हुई हिंसक घटनाओं से संबंधित हो सकती है।

Bangladesh Violence: लगभग 20 फीसदी आई गिरावट

हालांकि, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से निर्यात और आयात जारी है। उन्होंने कहा कि हसन अजीजुल हक, जसीमुद्दीन, बदरुद्दीन उमर और हुमायूं अहमद जैसे बांग्लादेशी लेखकों की किताबें भारतीय पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं, जबकि बांग्लादेशी पाठक सुनील गंगोपाध्याय, शीर्षेंदु मुखोपाध्याय, शक्ति चट्टोपाध्याय जैसे भारतीय लेखकों की किताबों की मांग करते हैं। प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता गिल्ड के एक पदाधिकारी ने कहा कि जुलाई से बांग्लादेश से किताबों के आयात और निर्यात में 20 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि, उन्होंने इसके लिए हाल की हिंसक घटनाओं से ज्यादा मंदी को जिम्मेदार ठहराया।

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नया उद्योग के मालिक पार्थ शंकर बसु ने कहा कि मंदी का यह असर अस्थायी है और उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंदी के कारण पाइरेसी बढ़ सकती है। दोनों देशों में ग्रे मार्केट सक्रिय है, जहां बांग्लादेशी और भारतीय लेखकों की पाइरेटेड किताबें कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध हैं। इसे अस्थायी समस्या माना जा रहा है, लेकिन पाठकों और प्रकाशकों को उम्मीद है कि साहित्य के प्रति प्रेम इस स्थिति को बदल देगा। आने वाले दिनों में राज्य के विभिन्न भागों और अगरतला में पुस्तक मेलों के आयोजन से स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

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