Rang Panchami: रंग पंचमी पर वातावरण में उड़ाया जाता है अबीर-गुलाल, जानें शुभ मुहूर्त और कथा

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नई दिल्लीः होली के पांचवे दिन रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग पंचमी को देव पंचमी और श्रीपंचमी के नाम से जाना जाता है। रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विधि-विधान से आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने अबीर और गुलाल उड़ाकर होली खेली थी। इसलिए रंगों से नहीं बल्कि अबीर और गुलाल को वातावरण में उड़ाया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि अबीर और गुलाल उड़ाने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। साथ ही इस अबीर और गुलाल के संपर्क में जो भी व्यक्ति आता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाता है। आज के दिन सभी देवी-देवता मनुष्यों के साथ होली खेलते हैं और उन्हें खुषहाल जीवन का आशीर्वाद भी देते हैं।

रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त
चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 22 मार्च 2022, मंगलवार को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शुरू रंग पंचमी शुरू होगी और चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि समाप्त 23 मार्च 2022 बुधवार सुबह 4 बजकर 21 मिनट को समाप्त होगी।

बाबा महाकाल को चढ़ता है टेसू के रंग
परंपरा के अनुसार, रंग पंचमी के दिन पुजारी भस्मारती में बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग चढ़ाते हैं। आरती के दौरान रंग को श्रद्धालुओं पर फेंका गया। केसरिया रंग को गर्भगृह से नंदी हॉल तक उड़ाया जाता है। रंगपंचमी पर बाबा महाकाल का भांग, चंदन और सूखे मेवे से श्रृंगार किया गया। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद भस्म अर्पित की गई। त्रिनेत्र रूपी, मस्तक पर रजत त्रिपुण्ड और सिर पर शेषनाग रजत मुकुट धारण करते हैं।

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रंग पंचमी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार होलाष्टक के दिन भगवान महादेव ने भगवान कामदेव को भस्म कर दिया था। जिसके चलते कामदेव की पत्नी रति पति के वियोग में विलाप कर रही थी जिसे देखकर देवलोक के हर देवी-देवता बेहद उदास थे। तब सभी देवी-देवताओं ने मिलकर भगवान महादेव से कामदेव को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया। जिस पर भगवान शिव ने भगवान कामदेव को जीवित करने का आष्वासन दिया। भगवान महादेव के श्रीमुख से यह बात सुनकर सभी देवी-देवता बेहद प्रसन्न हो गये और उन्होंने रंगोत्सव मनाया। इसी कारण हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

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