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इंतजार की घड़ियां हुई खत्म, नवंबर-दिसंबर में इन शुभ लग्नों में लिये जाएंगे सात फेरे

लखनऊः विवाह के ढोल बजने का समय आ गया है। कुंवारे और कुंवारियों की विवाह की प्रतीक्षा की घड़ी भी अब समाप्त हुई। शहरों की सड़कों पर अब बैंड-बाजों की धुन पर ‘आज मेरे यार की शादी है…’ गाने पर बाराती नाचते हुए नजर आने लगेंगे। पंचाग के अनुसार देवोत्थानी एकादशी से विवाह लग्ने शुरू हो जाती है। इस साल नवम्बर और दिसम्बर में 12 शुभ लग्नें हैं। लेकिन बहुत आवश्यक होने पर इन जाड़े में अन्य तारीखों में भी लग्नें है। कोरोना के कारण इस साल गर्मी की विवाह लग्नें तो यूं ही चली गई। जहां बहुत जरूरी था, वहीं शादियां हो पाई थी। बहुत से माता-पिता ने शादियों को जाड़े की लग्नों के लिए टाल दिया था, तब कई कुंवारें और कुंवारियां जो विवाह की दहलीज पर खड़े थे, मन मसोस कर रहे गए थे। खैर इस समय मौसम भी अच्छा हो गया है। कोरोना पूरी तरह से गया तो नहीं है, हां हल्का पड़ गया है। अब विवाह के लिए उचित मौका है। इस बार दिसम्बर तक विवाह लग्नें भी बहुत है।

पंचागों के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास की देवोत्थानी एकादशी तक इस चार मास में विवाह नहीं होते हैं। ज्योतिषविदों के अनुसार इस चार मास की अवधि को चौमासा कहा जाता है। चौमासें में हिन्दुओं में विवाह नहीं होते हैं। पिछले साल भी जाड़े में गुरू और शुक्र के लंबे समय तक अस्त होने के कारण भी शादियां कम ही हो पाई थीं। गुरू और शुक्र के अस्त होने पर भी विवाह नहीं होते हैं। कारण इन दोनों ग्रहों का विवाह के समय उदय होना आवश्यक है। देवोत्थानी एकादशी से विवाह लग्ने आंरभ हो जाती हैं। इस बार विवाह में किसी भी प्रकार की कोई बाधा भी नहीं है। विवाह के कारक गुरू और शुक्र दोनों ग्रह उदय है। विवाह बहुत शुभ लग्न में हो सकते हैं। इस समय चल रहे नवम्बर माह में 19, 20, 21, 28, 29 व 30 तारीख में बहुत शुभ लग्ने हैं। लेकिन बहुत जरूरी हो तो 15, 16, 22, 26 व 27 नवम्बर की तारीखों में विवाह कराया जा सकता है। लेकिन इन तारीखों में लग्न की शुद्धि अनिवार्य बताई गई है।

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दिसम्बर में 1, 6, 7, 11, 12 व 13 तारीखों में शुभ विवाह लग्नें है। लेकिन दिसम्बर की 2, 3, 4 व 5 तारीखों में भी लग्न शुद्धि कराकर विवाह हो सकता है। 13 दिसम्बर के बाद खरमास शुरू हो जाएगा। खरमास में शादियां करना वर्जित बताया है। इसके बाद अगले साल मकर संक्राति के बाद ही पुनः विवाह लग्नें आरंभ होंगी।

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