72 Hoorain Review: मुंबईः निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान फिल्म ’72 हुरें’ रिलीज हो चुकी है। सिनेमाघरों में लोग फिल्म को देखने पहुंचे रहे हैं और पटकथा की प्रशंसा भी कर रहे हैं। ’72 हुरें’ (72 Hoorain) दिखाती है कि आतंकवाद हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार गहराई से प्रभावित करता है। शायद ही कोई ऐसी फिल्म हो जो युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आतंकवादी बनाने और धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या करने के मुद्दे पर सवाल उठाती हो।
आतंक के गंदे खेल का पर्दाफाश करती है ’72 हूरें’
निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान की ’72 हूरें’ (72 Hoorain) लोगों को बरगलाकर आतंकवादी बनाने और उन्हें हत्या की मशीन में बदलने के गंदे खेल का पर्दाफाश करती है। फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना एक संदेश देती है और सीधे आतंकवादी सिंडिकेट के अपराधियों पर उंगली उठाती है और उनके कट्टर एजेंडे को उजागर करती है। अनिल पांडे की शानदार कहानी और संजय पूरन सिंह चौहान का दमदार निर्देशन इस फिल्म का मुख्य आकर्षण है। धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद की काली हकीकतों से घिरी इस फिल्म की कहानी इतनी दिलचस्प है कि दर्शक अंत तक स्क्रीन से चिपके रहेंगे।
गौरतलब है कि फिल्म किसी विशेष समुदाय पर उंगली नहीं उठाती है या कुछ खूंखार आतंकवादियों के कृत्यों के लिए पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहराती है। फिल्म दिखाती है कि कैसे आतंकवाद के कृत्य धार्मिक शिक्षाओं से गहराई से जुड़े हुए हैं जिनका दुरुपयोग खूंखार आतंकवादियों द्वारा निर्दोष लोगों का ब्रेनवॉश करने और उन्हें हत्या की मशीन में बदलने के लिए किया जाता है। सच तो यह है कि हम लंबे समय से धर्म के नाम पर होने वाले ऐसे आतंकवादी कृत्यों के गहरे असर को नजरअंदाज करते रहे हैं। इसके चलते आतंकी अपने हमलों में और भी ताकतवर हो गए हैं और अब वे लोगों को मारने से पहले दोबारा नहीं सोचते।
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फिल्म कहानी से लेकर पटकथा, संवाद, निर्देशन, छायांकन और संपादन तक सभी विभागों में उत्कृष्ट है। फिल्म देखते समय आपको ऐसा महसूस होता है जैसे आप स्क्रीन पर कोई नाटक नहीं देख रहे हैं, बल्कि आतंकवाद की भयावह घटनाओं को लाइव देख रहे हैं जो आपको अंदर से झकझोंर कर रख देती हैं। फिल्म में आतंकवाद के ध्वजवाहकों की भूमिका निभाते हुए पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर ने सराहनीय काम किया है। इन दोनों शानदार एक्टर्स की आप जितनी भी तारीफ करें कम होगी। फिल्म में अन्य कलाकारों ने भी अपना किरदार बखूबी निभाया है। यह फिल्म दर्शकों को जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि यह धर्म और आतंकवाद के बीच संबंध को शानदार ढंग से उजागर करती है और धार्मिक कट्टरवाद के मुद्दे को उठाती है।
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