Thursday, November 21, 2024
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Homeअन्यज्ञान अमृतश्री विवाह पंचमी महिमा

श्री विवाह पंचमी महिमा

मार्गशीर्ष की पंचमी तिथि को त्रेतायुग में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का विवाह जनकपुर में संपन्न हुआ था। सीता स्वयंवर में भगवान श्रीराम के द्वारा शिव धनुष भंग करने के उपरान्त विदेह राज जनक जी के द्वारा अयोध्यापुरी दूत भेजने पर महाराज श्री दशरथ जी के पुत्र श्री भरत जी एवं श्री शत्रुहन जी के साथ बारात लेकर जनकपुर पधारते हैं। इसके अनन्तर विवाह की विधि पंचमी तिथि को सम्पन्न होती है।

इसलिए अयोध्या तथा जनकपुर में विवाह पंचमी का महोत्सव बड़े समारोह से प्रत्येक मंदिर में मनाया जाता है। भक्तगण भगवान की बारात निकालते हैं तथा भगवान की प्रतिमाओं द्वारा रात्रि में विधिपूर्वक विवाह कराते हैं। देश के विभिन्न भागों में श्रीरामभक्त यह महोत्सव अपने.अपने ढंग से आनन्द और उल्लासपूर्वक मनाते हैं।

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पुराणानुसार मार्ग शीर्ष शुक्लपक्ष पंचमी तिथि को सरयू स्नानए गंगा स्नान अथवा किसी भी पवित्र नदी में स्नान का करोड़ गुना फल प्राप्त होता है एवं श्री भगवान की प्रसन्नता के लिए किया जाने वाला दान करोड़ गुना फल प्रदान करता है। इस तिथि को स्नान दान करने वाले को भगवान की कृपा स्वरूप मनोरथ सिद्धि एवं भक्ति प्राप्त होती है।

लोकेंन्द्र चतुर्वेदी ज्योतिर्विद

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