नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले रविवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष दिल्ली और पंजाब को केंद्रीय सहायता समेत कई गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने दावा किया कि पिछले 9 सालों की तरह इस बार भी केंद्र सरकार दिल्ली को 350 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं देने जा रही है।
नेमप्लेट मामले पर रखी अपनी राय
साथ ही उन्होंने विपक्षी दलों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग रोकने, छोटे दलों को संसद में बोलने का मौका देने और परंपरा के अनुसार विपक्ष से ही उपसभापति बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पिछले 9 सालों से देखा जा रहा है कि दिल्ली के लोग टैक्स के रूप में लाखों-करोड़ों रुपये देते हैं, लेकिन उन्हें बजट में सिर्फ 350 करोड़ रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित उस आदेश का मुद्दा भी उठाया, जिसमें कांवड़ मार्गों पर स्थित ढाबों को अपने मालिकों का नाम और पहचान बताना अनिवार्य कर दिया गया है। संजय सिंह ने कहा कि आदेश जारी किया गया है कि दुकानों में नेम प्लेट लगानी होगी। यह दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों का कारोबार बंद करने की कोशिश है। ये वो लोग हैं जो भेदभाव में विश्वास रखते हैं।
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उन्होंने मांग की कि छोटे दलों के सदस्यों को भी संसद में बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए और शून्यकाल के दौरान कार्रवाई की जानी चाहिए। उपसभापति के मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि उपसभापति विपक्ष से होना चाहिए, यही परंपरा रही है।
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