विशेष उत्तर प्रदेश Featured राजनीति

अखिलेश की 'नई सपा' में मुस्लिम हितों की बात को लेकर उठ रहे विरोध के सुर

muslim

लखनऊः उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बीत जाने के बाद समाजवादी पार्टी में मुस्लिम (Muslim) हितों को लेकर विरोध के सुर फूटते दिखाई दे रहे हैं। शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खां के खेमें से भी अंसतोष के सुर उभर रहे हैं। जबकि अभी हाल में हुए आम चुनाव में मुस्लिम (Muslim) वोटरों ने एकतरफा सपा को वोट किया है। इन वोटरों के एकतरफा का अदांजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि दूसरे दलों से उतरे कई कद्दावर मुस्लिम चेहरों को अपनी बिरादरी के वोट तक के लिए तरस गए। नतीजों के बाद पार्टी के अंदर कई फैसलों के बाद अब मुस्लिम नेताओं का एक खेमा मुस्लिमों को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रहा है।

आजम के करीबी ने सपा मुखिया पर खड़े किए सवाल

इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि संभल के सांसद शफीकुर्रहमन बर्क ने तो यहां तक कह दिया कि समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों (Muslim) के हितों में काम नहीं कर रही। बाद में बयान आया कि जुबान फिसल गयी थी। इसके बाद सपा के कद्दावर नेता आजम खां के करीबी और मीडिया प्रभारी फसाहत खान ने सपा मुखिया को कटघरे में खड़ा कर दिया। ढाई साल से आजम जेल में है। महज एक बार अखिलेश यादव मिलने गये हैं। इतना ही नहीं उन्हें विपक्ष का नेता भी नहीं बनाया गया और न ही पार्टी में मुसलमानों को अहमियत दी गई। उन्होंने कथित तौर पर कहा, अब अखिलेश को हमारे कपड़ों से बू आ रही है। हमारे वोटों की वजह से आपकी 111 सीटें आई हैं। लेकिन, फिर भी मुख्यमंत्री आप बनेंगे और नेता विपक्ष भी आप बनेंगे। कोई दूसरा नेता विपक्ष भी नहीं बन सकता।

सपा नेताओं को खल रही अखिलेश की चुप्पी

सपा के एक बड़े मुस्लिम नेता ने कहा कि अभी हाल में कुछ ऐसे घटनाएं हुई जिन पर शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी ने बड़े सवाल उठाए हैं। बरेली में विधायक भोजीपुरा से विधायक शहजिल इस्लाम का पेट्रोल पंप को सरकार की तरफ से गिरा दिया गया। इसके अलावा एक अन्य विधायक नाहिद हसन के रिश्तेदार और उनकी खुद की प्रापर्टी पर बुलडोजर चलाया गया। लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से कोई खास स्टैंड नहीं लिया गया। इसी का कारण रहा शहजिल इमाम ने विधान परिषद के चुनाव में भाग भी नहीं लिया है। इतना ही कई अधिकारों की बात में हमें से रायशुमारी भी नहीं ली जा रही है। इससे कार्यकतार्ओं में निराशा है। इसी का कारण है कि आजम खां साहब जो कि 10 बार के विधायक हैं उनके समर्थक भी मायूस नजर आ रहे हैं। इसी कारण ऐसे बयानत आ रहे हैं।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि कहते हैं इस बार के चुनाव में देखने में मिला सपा मुखिया अखिलेश अल्पसंख्यकों के हितैशी के रूप में अपने को प्रस्तुत नहीं कर रहे थे। वह नहीं चाहते हैं कि उनकी छवि एक मुस्लिम पार्टी की न बनी। इसी कारण कुछ मुस्लिम इलाकों में भाजपा को अच्छा वोट मिला है। मुस्लिम का साथ परोक्ष रूप से दिखे तो इसकी कोशिश कम हो रही है। यही टिकट वितरण में देखने को मिला है। टॉप लेवल के प्रचारकों में मुस्लिम नेताओं को ज्यादा तवज्जों नहीं दी गयी है। वो सोंचते मुस्लिम के बिना भाजपा बार-बार पावर में आ रही है। तो सपा क्यों नहीं आ सकती है। शफीकुर्रहमन बर्क जो कि सपा में शुरू से है जो मुस्लिम हितों की बातों को सर्वपरि रखता है। इसके अलावा आजम खान के समर्थकों का बयान यह बताता है कि मुस्लिम समाज समान्य तौर से समझ गया है अखिलेश को मुस्लिम सपोर्ट की उतनी जरूरत नहीं है। इस वोट बैंक से उनकी निर्भरता कम हो रही है।

सपा प्रवक्ता डॉ. आशुतोश वर्मा कहते हैं कि मुस्लिम समाज के साथ सपा हमेशा से रही है। इसका उदाहरण 2022 के चुनाव में देखने को मिला है। सबसे ज्यादा टिकट हमने दिए। सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक भी सपा से जीते हैं। मुस्लिमों के सारे हित सपा में ही सुरक्षित हैं। रही बात आजम खां की उनके साथ सपा के परिवारिक रिश्ते हैं। उनके साथ हुए अत्याचार को सपा ने समय-समय पर उठाया है। उनका पार्टी में भरपूर सम्मान है। उन्हें लेकर जो अर्नगल बातें कर रहे हैं उनकी अपनी कोई निजी महत्वकांक्षा होगी।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)