वाराणसीः ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अखिल भारतीय संत समिति की पहल पर हरियाणा के पटौदी स्थित आश्रम हरि मंदिर में आगामी 25-26 जून को संतों की बैठक होगी। समिति के राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी। इसके पहले 11-12 जून को हरिद्वार में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी। समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद ने गुरूवार को बताया कि दोनों बैठक बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों बैठक के माध्यम से संत समाज ज्ञानवापी प्रकरण में अपनी कार्ययोजना तय करेगा।
बैठक में तय होगा कि न्यायालय में ज्ञानवापी प्रकरण की प्रक्रिया में शामिल होना है, या फिर इसका निर्णय जल्दी से जल्दी हो और सारी बाधाएं समाप्त हो, इस पर विचार करना है। स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस मामले में संत नही आने वाले थे। लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जब राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया है तो हिंदू समाज के धर्माचार्यों का भी यह दायित्व बनता है कि वे इस प्रकरण के सकारात्मक और नकरात्मक पहलुओं पर एकजुट होकर विमर्श करें। स्वामी जीतेन्द्रानंद ने कहा कि ज्ञानवापी में बाबा विश्वनाथ विराजे हुए हैं। ज्ञानवापी में मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है। सच्चाई के खिलाफ झूठ का प्रोपेगैंडा खड़ा करने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, पीएफआई, एसडीएफआई, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और असदुद्दीन ओवैसी एकजुट होकर मैदान में उतरे हैं। इन पांचों की एकजुटता के विरुद्ध में स्वाभाविक सी बात है कि हमें जवाब देना ही होगा।
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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमें के वादी पक्ष में मनमुटाव और बिखराव चर्चा में
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में वादी पक्ष के पैरोकार और अधिवक्ताओं में मनमुटाव और बिखराव सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में न्यायालय के आदेश पर कमीशन की कार्यवाही होते ही पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन और अधिवक्ता हरिशंकर जैन के बीच दूरी दिखने लगी थी। बाद में न्यायालय के आदेश पर पक्षकारों को मिले रिपोर्ट में वीडियो लीक होने के बाद मनमुटाव भी शुरू हो गया। जितेन्द्र सिंह बिसेन ने अधिवक्ता हरिशंकर जैन की अध्यक्षता में चल रही हिंद साम्राज्य पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद अधिवक्ता हरि शंकर जैन और उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के वकालतनामे अपने सभी मुकदमों से निरस्त करने का फैसला लिया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि यह फैसला जिला कचहरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के मुकदमों के लिए है।
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