आईपीके, लखनऊः कोरोना महामारी की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले बिल्डरों की नींद अब स्टील और लोहे के बढ़ते दामों ने उड़ा दी है। कीमतें बढ़ने से जहां निर्माण कार्य में बिल्डरों का परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं घर खरीदार भी महंगाई के चलते आशियाना खरीदने में झिझक रहे हैं। इन सभी समस्याओं के बाद भी सरकार आंख मूंदे हुए है।
वैसे तो भवन निर्माण के क्षेत्र की हर सामग्री के दाम में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, लेकिन स्टील के आसमान छूते भाव ने खरीदारों के साथ बिल्डरों को भी परेशान कर दिया है। डेवलपर्स की मानें तो घर बनाने में प्रति स्क्वायर फीट करीब 10 किलो स्टील का इस्तेमाल होता है। कीमत बढ़ने से इसकी लागत 550 रुपए से 600 रुपए के करीब हो गई है, जो पहले 400 रुपए थी।
यानी एक औसत घर जिसका क्षेत्रफल 2 हजार स्क्वायर फीट है, उसे बनाने का खर्च करीब 3 लाख रुपए तक बढ़ जाएगा। इसका सीधा असर घर खरीदारों की जेब पर पड़ेगा। दरअसल, स्टील का थोक भाव एक साल के अंदर ही करीब 55 फीसदी बढा हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार करीब 58 हजार रूपये प्रति हजार टन हो गया है। इसका दाम 1 जनवरी 2020 को 37.5 हजार रुपए प्रति टन था। स्टील की कीमतें हालांकि मार्च से जून के दौरान 35 हजार रुपए तक चली गई थी, फिर जैसे ही थोड़ी मांग बढ़ी, इनकी कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ गई हैं। स्टील उत्पादक कंपनियां सांठ-गांठ कर भाव बढ़ा रहीं हैं, पर सरकार का ध्यान इस ओर नही है।
बिल्डरों ने बयां किया दर्द
लखनऊ बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन ग्रुप के एसके मौर्य ने बताया कि लाॅकडाउन और नोटबंदी की वजह से भवन निर्माण के काम की जो दुर्गति हुई, उससे हम आज तक नही उबर पाए हैं। लोहे और स्टील के दाम बढ़ने से लागत बढ़ गई है, जिससे ग्राहकों को भी ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
– लखनऊ के गंगोत्री ग्रुप के शरद कटियार ने बताया कि कोरोना काल में जो लाॅकडाउन किया गया, उससे इस व्यवसाय को खासा नुकसान हुआ। छोटे स्तर के बिल्डर तो बुरी तरह प्रभावित हुए। लाॅकडाउन खुलने के बाद भी अभी तक भवन निर्माण के व्यवसाय ने गति नही पकड़ी है। उस पर लोहे और स्टील के अनियंत्रित बढ़ते दाम भवन निर्माण की लागत बढ़ा रहे हैं, जिससे ग्राहक और बिल्डर दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
आर्यन इंफ्राकेयर के विजय मौर्य का कहना है कि उम्मीद है कि मार्च-अप्रैल तक स्थितियों में परिवर्तन आएगा और चीजें ठीक हो जाएंगी। इस समय भारत में ही नहीं पूरा विश्व मंदी की मार झेल रहा है। महामारी कोरोना ने सभी क्षेत्रों केा ठप सा कर दिया था, धीरे-धीरे बाजार की हालत सुधर रही है।
फ्यूचर ग्रुप के मनोज सोलंकी का कहना है कि कोरोना की आंधी में सभी परेशान रहे, चाहे कोई भी व्यवसाय रहा हो। उसी तरह बिल्डरों को भी नुकसान काफी हुआ, लेकिन उम्मीद है कि धीरे-धीरे स्थितियां ठीक होंगी और माहौल फिर पहले जैसा होगा।
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हम शासन स्तर पर इस पर चर्चा कर रहे हैं: क्रेडाई
क्रेडाई आॅफिस के एडीशनल डायरेक्टर सुंधासु बरेरा ने बताया कि हम लोगों ने शासन स्तर पर ज्ञापन दिया हुआ हैं। अगर इस तरह से कीमतें बढेंगी तो ग्राहकों और बिल्डरों के लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी, क्योंकि बाजार सुस्त है। ग्राहक भवन खरीदने के सही समय का इंतजार कर रहा है। बिल्डर कर्ज लेकर भवन निर्माण करा रहा है। बैंक के लोन की किस्त जमा करनी पड़ रही है, लेकिन बिल्डर के बनाए भवन बिक नहीं रहे। उस पर स्टील और लोहे की कीमतें अनियंत्रित होकर बढ़ने से मुसीबत और बढ गई है। लाॅकडाउन के बाद महज 5 फीसदी ही बिजनेस ने तेजी पकड़ी है। कंस्ट्रक्शन के काम में अभी भी तेजी नही आ पाई है।