Saturday, December 14, 2024
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Homeदिल्लीनेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी बोले- सीएजी रिपोर्ट ने खोली केजरीवाल सरकार की पोल

नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी बोले- सीएजी रिपोर्ट ने खोली केजरीवाल सरकार की पोल

नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार की पोल खुल गई है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार की असफलताओं को उजागर किया गया है। बिधूड़ी ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि आप सरकार हर मोर्चे पर फेल है। 88 फीसदी अनधिकृत कॉलोनियों में सरकार सीवर उपलब्ध नहीं करा पाई है। मजदूरों के कल्याण के रूप में वसूली गई राशि में से 94 फीसदी का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। डीटीसी को 5280 करोड़ रुपये का नुकसान एक साल में ही हो गया। दिल्ली की हाउसिंग प्लानिंग भी पूरी तरह फेल हो गई है।

बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार किस मुंह से अपने आपको गरीबों की हमदर्द कहती है जबकि सच्चाई यह है कि बिल्डर और अन्य निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के कल्याण के लिए लगाए गए टैक्स के रूप में सरकार ने 3273.64 करोड़ रुपये वसूल किए। इस राशि में से सिर्फ 182.88 करोड़ रुपये मजदूरों के कल्याण पर खर्च हुए। वर्ष 2019-20 के दौरान सरकार के पास 7,499 करोड़ रुपया सरप्लस पड़ा रहा यानी सरकार ने टैक्स तो वसूल कर लिया लेकिन जनता पर खर्च ही नहीं कर पाई। सीएजी रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि इस सरकार के पास कोई प्लानिंग या योजनाओं को लागू करने की दृष्टि ही नहीं है। जाहिर है कि सरकार सिर्फ प्रचार के बल पर कागजों पर ही योजनाए लागू करती रही है। अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर व पानी की सुविधाएं देने के लिए सरकार ने जो योजनाएं बनाई, उनका पैसा दूसरी योजनाओं पर खर्च कर दिया गया।

बिधूड़ी ने कहा कि 1,797 कॉलोनियों में दिसंबर 2018 तक पीने का पानी मुहैया कराने का टारगेट था लेकिन सरकार केवल 353 कॉलोनियों में ही पानी पहुंचा पाई। आप सरकार टैंकर माफिया को खत्म करने के नाम पर सत्ता में आई लेकिन 38 फीसदी टैंकरों पर जीपीएस ही नहीं पाया गया और 572 कॉलोनियों में अब भी टैंकरों से ही पानी की सप्लाई होती है।

बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड और डीटीसी आप सरकार के निकम्मेपन का उदाहरण बन गए हैं। 2019 के अंत तक दिल्ली जल बोर्ड 28 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज तले डूब चुका था लेकिन सिर्फ 351 करोड़ रुपये का लोन चुकाया गया। ब्याज को मिलाकर यह राशि 27 हजार 660 करोड़ हो गई। इसी तरह डीटीसी के लिए मौजूदा सरकार ने एक भी बस नहीं खरीदी, उस पर 38 हजार 753 करोड़ रुपये का लोन 2019 तक हो चुका था। एक साल में ही डीटीसी को 05 हजार 280 करोड़ 50 लाख रुपये का घाटा हो गया।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गरीबों को मकान देने के मामले में भी सीएजी ने दिल्ली सरकार की पोल खोली है। दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने 14 हाउसिंग स्कीम बनाई जोकि 2012 तक पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन यह सरकार 2019 तक भी पूरा नहीं कर पाई। जो मकान बने, वे खंडहर हो गए। यहां तक कि उनकी मरम्मत पर अब दिल्ली सरकार 2,210 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है। दिल्ली सरकार 28 हजार 344 बन चुके मकानों को अलाट ही नहीं कर सकी क्योंकि वह उन लोगों की पहचान ही नहीं कर सकी जिन्हें ये मकान दिए जाने हैं। खंडहर बन चुके मकानों के कुछ हिस्से पिछले दिनों गिर भी गए थे।

बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों के पास दिल्ली के लिए अब समय ही नहीं है। वह सारा वक्त दूसरे राज्यों में बिता रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि दिल्ली खासतौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में विकास के लिए तरस गई है। कैग रिपोर्ट ने फिर साबित कर दिया है कि दिल्ली सरकार सिर्फ प्रचार की सरकार रह गई है और हर मोर्चे पर नाकाम साबित हो गई है।

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