नई दिल्लीः राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह का कोरोना से निधन हो गया। 82 वर्षीय अजित सिंह कोरोना संक्रमित होने के बाद गुरुग्राम के आर्टिमिस अस्पताल में भर्ती थे। अजित सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे। बता दें कि 20 अप्रैल अजित सिंह कोरोना संक्रमित हुए थे जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उनकी हालत नाजुक हो गई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह बागपत से सात बार सांसद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। उनके निधन के बाद बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर है। चौधरी अजित सिंह की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती थी।
17 साल तक कॉरपोरेट जगत में किया काम
12 फरवरी 1939 को जन्म अजित सिंह ने सियासत से पहले कॉरपोरेट में जगत में काम करते थे। लखनऊ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वे आईआईटी खड़गपुर में पढ़े। इसके बाद चौधरी अजित सिंह अमेरिका के इलिनाइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में पढ़ने के बाद 17 साल तक अमेरिका में कॉरपोरेट जगत में काम करते रहे। 1960 के दौर में आईबीएम में काम करने वाले कुछ भारतीयों में अजित सिंह का नाम है।
1986 में भेजे गए राज्यसभा
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बीमार होने के बाद 1986 में अजित सिंह ने राजनीतिक सफर की शुरूआत की। अजित सिंह 1986 में राज्यसभा भेजे गए थे। इसके बाद 1987 से 1988 तक वह लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। 1989 में अपनी पार्टी का विलय जनता दल में करने के बाद वह उसके महासचिव बन गए।
1989 में अजित सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा पहुंचे। वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह 1991 में फिर बागपत से ही लोकसभा पहुंचे। इस बार नरसिम्हाराव की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे, लेकिन फिर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
1997 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की और 1997 के उपचुनाव में बागपत से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1998 के चुनाव में वह हार गए, लेकिन 1999 के चुनाव में फिर जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2001 से 2003 तक अटल बिहारी सरकार में चौधरी अजित सिंह मंत्री रहे। 2011 में वह यूपीए का हिस्सा बन गए।
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2011 से 2014 तक वह मनमोहन सरकार में मंत्री रहे। 2014 में वह बागपत सीट से चुनाव हार गए। 2019 का चुनाव चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर से लड़े, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी संजीव बलियान ने उन्हें हरा दिया। हालांकि, किसान आंदोलन का उन्हें फायदा हुआ है और हाल ही में हुए जिला पंचायत चुनाव में आरएलडी ने शानदार प्रदर्शन किया है।