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पेशे से इंजीनियर चौधरी अजित सिंह 1988 में पहली बार बने थे सांसद

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मेरठः एक समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सियासत पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती थी। लंबे समय तक रालोद मुखिया अजित सिंह वेस्ट यूपी की राजनीतिक धुरी रहे। अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद 1986 में अजित सिंह ने राजनीति में कदम रखा। पेशे से इंजीनियर रहे अजित सिंह को उसी वर्ष राज्यसभा के लिए चुना गया। 1987 में उन्हें लोकदल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

1988 में अजित सिंह ने बागपत लोकसभा से पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय उद्योग मंत्री बनाया गया। वे 1989 में जनता दल का प्रधान राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। 1991 में फिर से बागपत से लोकसभा सदस्य चुने गए। 1995 में अजित सिंह केंद्र सरकार में केंद्रीय खाद्य मंत्री बने। 1996 में बागपत से लोकसभा चुनाव जीते। 1997 में हुए उप चुनाव में श्री सिंह बागपत से सांसद बने। 1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन करके उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। 1998 में वे लोकसभा का चुनाव हार गए। लेकिन 1999 में फिर से लोकसभा पहुंचे। 2001 में केंद्रीय कृषि मंत्री बनाए गए। उन्होंने 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद वह 2011 में यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बने।

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1998 में टूटा था अजित सिंह का तिलिस्म
अजित सिंह को सबसे पहले 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सोमपाल शास्त्री ने हराकर उनका राजनीतिक तिलिस्म तोड़ दिया। इसके बाद 1999 के चुनाव में अजित सिंह ने सोमपाल को पराजित करके अपनी हार का बदला लिया। 2014 में भाजपा के डाॅ. सत्यपाल सिंह ने अजित सिंह को करारी शिकस्त दी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अजित सिंह को मुजफ्फरनगर से हार का सामना करना पड़ा।