जयपुरः क्या राजस्थान में कांग्रेस का सफाया कर देगा रेगिस्तानी तूफान? क्या विभाजित कांग्रेस अपने निराश कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार कर सकती है? क्या पार्टी उस विपक्ष को हरा पाएगी जो पहले से ही खंडित है? क्या यह विभाजित विपक्ष का फायदा उठाकर राज्य में चार दशकों से चली आ रही प्रवृत्ति को बदल सकता है, जहां सत्ता हर पांच साल में वैकल्पिक हाथों में चली जाती है?
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ये ऐसे सवाल हैं, जिन पर कांग्रेस के साथ-साथ विपक्षी दल भी चर्चा कर रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ता पहले से ही विद्रोहियों, राजनीतिक खेमों, अंदरूनी कलह और आखिरकार पार्टी के भविष्य की चर्चा से तंग आ चुके हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे इस बात से सहमत हैं कि पार्टी इन चार वर्षो में बूथ स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने में विफल रही है और कांग्रेस पर मतदाताओं का भरोसा डगमगा रहा है।
चल रहे राजनीतिक संकट ने कार्यकर्ताओं को कड़ी टक्कर दी है और उन्होंने अपने नेताओं पर भरोसा खो दिया है। हालांकि, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट द्वारा गुरुवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद 2023 के चुनावों में पार्टी को सत्ता में वापस करने की बात कहने के बाद आशा की एक किरण उभरी है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हमें अपनी सरकार को वापस लाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने की आवश्यकता है, हालांकि इस बारे में सोचने में किसी की दिलचस्पी नहीं है, लेकिन सभी अपनी कुर्सियों को बचाने में रुचि रखते हैं।”
इन वरिष्ठ और स्वार्थी नेताओं की वजह से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली में सबके सामने सॉरी बोलना पड़ा। उन्होंने कहा, “हमें खुशी है कि चल रहे संकट के बीच, किसी ने इन कठिन समय में ‘एक साथ’ शब्द का इस्तेमाल किया। यह शब्द आज पवित्र है क्योंकि पार्टी तीन गुटों- एक समूह आलाकमान के प्रति वफादार है, दूसरा सीएम अशोक गहलोत के प्रति वफादार है और तीसरे सचिन पायलट को लेकर वफादार में विभाजित हैं।”
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आचरण पर सवाल उठ रहे हैं जिन्होंने चुपचाप 92 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए और इस सारे ड्रामे के बीच खामोश हैं जबकि विधायक खुद कह रहे हैं कि उन्हें जबरदस्ती इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। सभी वरिष्ठ नेताओं के व्हाट्सएप कॉल इस बात पर चर्चा में व्यस्त हैं कि क्या कोई नया सीएम आएगा या गहलोत अपनी कुर्सी पर टिके रहेंगे या नहीं। मिलियन डॉलर का सवाल है, “क्या राजस्थान में रेगिस्तानी तूफान कांग्रेस का सफाया कर देगा?”
यह सवाल पर इसलिए चर्चा की जा रही है क्योंकि गहलोत खेमे के विधायक अब उनके दाहिने हाथ, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेद्र राठौर से सवाल कर रहे हैं कि उन्होंने पिछले रविवार को सीएलपी बैठक के समानांतर एक अनौपचारिक बैठक क्यों बुलाई। ये वो तीन नेता है जिन्हें रविवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
अब सभी को सीएम चेहरे पर आलाकमान के फैसले का इंतजार है। पायलट खेमे के वेदप्रकाश सोलंकी कहते हैं, प्रकाश की एक किरण होगी, जिन्होंने धर्मेद्र राठौर को ‘दलाल’ करार दिया था, जब उन्होंने पायलट को देशद्रोही कहा था। मंत्री परसादिअली लाल मीणा कहते हैं कि हम मध्यावधि चुनाव के लिए जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि सीएम गहलोत हमारे नेता बने रहें। परसराम मदेरणा की पोती दिव्या मदेरणा कहती हैं, हम आलाकमान के साथ हैं, जो आज जैसी परिस्थितियों में सीएम नहीं बन सके। इसलिए पार्टी में तीन धड़ों के साथ अब सबकी निगाह आलाकमान पर है।
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