नई दिल्लीः मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के सह-अभियुक्त अंकुश जैन और वैभव जैन ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सत्येंद्र जैन का कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है। जस्टिस दिनेश शर्मा की बेंच जमानत याचिकाओं पर कल यानी 7 फरवरी को भी सुनवाई करेगी।
अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील गुप्ता ने कहा कि दोनों सह-आरोपियों ने कलकत्ता स्थित कंपनी को पैसे भेजे थे। इस मामले में सत्येंद्र जैन की ओर से दलीलें पूरी हो चुकी हैं।
कोर्ट ने एक दिसंबर 2022 को ईडी को नोटिस जारी किया था। सत्येंद्र जैन ने जमानत नहीं देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 17 नवंबर को सत्येंद्र जैन सहित तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा मामले के आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान जैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा था कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग कानून की मनमानी व्याख्या कर रहा है। उसने कहा था कि पैसा अंकुश जैन, वैभव जैन व अन्य आरोपियों का है, जो इंट्री से साफ हो गया है। यह टैक्स चोरी का मामला हो सकता है लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं। उन्होंने कहा कि यह सत्येंद्र जैन का पैसा कैसे हो सकता है।
ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जैन ने सर्टिफिकेट को 40-50 बार जमा किया हुआ है। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि जैन लगातार गलत जानकारी दे रहे थे, जो भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपराध है। राजू ने कहा था कि सत्येंद्र जैन, उनके परिवार और उनके करीबी लूट रहे थे। कंपनी के फर्जी निदेशक बने थे और जैन कंपनी को पीछे से संचालित कर रहे थे। राजू ने कहा था कि ये मामला एक करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग का है।
जैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि ईडी ने उन्हें केवल इसलिए गिरफ्तार किया है कि वे मंत्री बने हैं और उन्होंने सार्वजनिक जीवन शुरू किया है। हरिहरन ने कहा था कि जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। उनकी केवल एक गलती है कि वह मंत्री बने और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने कहा था कि सत्येंद्र जैन को जमानत में रखना हर तरह से न्याय के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा था कि क्या अल्प शेयरधारक किसी कंपनी को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक निदेशक किसी कंपनी का केवल एक प्रतिनिधि होता है। जिस समय का मामला है, उस समय सत्येंद्र जैन कंपनी में भी नहीं थे। अगर जैन राजनीति में नहीं आए तो ये मामला दर्ज नहीं हुआ।
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