देहरादूनः कुल सात बार विधायक रहे यशपाल आर्य उत्तराखंड में एक बड़े दलित नेता के रूप में पहचान रखते हैं। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विधायक दल के नेता के रूप में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यशपाल आर्य भाजपा छोड़कर कांग्रेस में लौट आए थे। बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य ने ऊधमसिंह नगर की बाजपुर सीट से जीत दर्ज की थी।
विधायक दल के नेता बनाए गए यशपाल आर्य पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रहे, लेकिन चुनाव से पहले वह कांग्रेस में लौट आए थे। आर्य पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 47 सीटों के साथ दो-तिहाई बहुमत हासिल कर फिर सत्ता में वापसी की। कांग्रेस को पराजित होना पड़ा, लेकिन विधायकों का आंकड़ा 11 से बढ़कर 19 तक पहुंच गया। पार्टी के इस कमजोर प्रदर्शन का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष के सिर फूटा और गणेश गोदियाल को पद से हटना पड़ा। इसके लगभग एक महीने बाद रविवार को कांग्रेस ने तीनों पदों पर नियुक्ति कर दी। यशपाल आर्य ने अपनी राजनीतिक पारी 1977 के आम चुनाव के बाद की और 1989 में खटीमा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1991 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
1993 में वो फिर जीते। 1996 में उन्हें फिर खटीमा से हार का सामना करना पड़ा। 2002 और 2007 में आरक्षित सीट मुक्तेश्वर और 2012 में बाजपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 2002 में यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष बने। 2007 से 2014 तक यशपाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 2012 में सिंचाई, राजस्व और तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं। 2017 में चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होने के बाद वे बाजपुर से दोबारा विधायक चुने गए। 2017 में भाजपा सरकार में वे परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण और आबकारी विभागों के मंत्री रहे।