नई दिल्लीः इस साल भारत को टी-20 विश्व कप की मेजबानी करनी है। अगर भारत सरकार टैक्स में छूट नहीं देती है तो इस विश्व कप के लिए बीसीसीआई को 906 करोड़ रुपये का टैक्स देना पड़ सकता है। अगर सरकार कुछ राहत देती भी है तो भारतीय बोर्ड को फिर भी 227 करोड़ टैक्स देना होगा।
विश्व कप सिर्फ 10 महीने दूर है और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को बैकअप के तौर पर रखा है। बीसीसीआई पहले हो दो डेडलाइन- 31 दिसंबर 2019 और 31 दिसंबर 2020 मिस कर चुकी है। अब उस पर यह फैसला करने का दबाव बढ़ गया है कि वह टूर्नामेंट की मेजबानी करना चाहती है या नहीं। एक अधिकारी ने कहा कि नई डेडलाइन फरवरी की है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पास बीसीसीआई की इस टी-20 विश्व कप में टैक्स में छूट की अपील लंबित पड़ी है। सरकार ने हालांकि इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। रोचक बात यह है कि बीसीसीआई खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल महासंघ के तौर पर मान्यता प्राप्त भी नहीं है।
दो डेडलाइन मिस करने के बाद आईसीसी ने बीसीसीआई को दो विकल्प दिए हैं जो बीसीसीआई के लिए आखिरी लग रहे हैं। पहला है, टी-20 विश्व कप को यूएई में कराया जाए और दूसरा इस बात की गांरटी है कि अगर भारतीय बोर्ड टैक्स में छूट नहीं ले पाती है तो उसे टैक्स की जिम्मेदारी उठानी होगी जो कम से कम 226.58 करोड़ रुपये और ज्यादा से ज्यादा 906.33 करोड़ रुपये होगी।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं और कोषाध्यक्ष अरुण कुमार धूमल वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई है। अनुराग पूर्व में बीसीसीआई अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वित्त मंत्रालय को ही इस पर फैसला लेना है। 2011 में भी मनमोहन सिंह की सरकार ने आखिरी समय में टैक्ट छूट की अपील को मान लिया था।
2016 में जब भारत ने टी-20 विश्व कप की मेजबानी की थी तब मोदी सरकार ने सिर्फ 10 प्रतिशत की छूट दी थी और इसी कारण आईसीसी ने बीसीसीआई के शेयर में 2.375 डॉलर की कटौती की थी। 24 दिसंबर को हुई बीसीसीआई की एजीएम में, बीसीसीआई के अधिकारियों ने जनरल बॉडी में इस पर चर्चा की थी। एक अधिकारी के मुताबिक इस बैठक में दो गुट बंटे हुए जो इस बात पर एकमत नहीं थे कि अगर सरकार टैक्स में छूट नहीं देती है तो क्या बीसीसीआई को टैक्स देना चाहिए।
अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “इस मामले पर 10-15 मिनट चर्चा की गई थी इसके बाद हाउस ने बीसीसीआई अधिकारियों को इस देखने को कह दिया। लेकिन देखने वाली बात यह है कि सभी अधिकारी इस बात पर एक मत नहीं थे। सवाल यह भी थे कि अगर सरकार पूरी टैक्स छूट नहीं देती है तो क्या बीसीसीआई के मेजबानी छोड़ देनी चाहिए। किसी ने कहा कि यह इज्जत का सवाल है कि भारत को टैक्स देना चाहिए और विश्व कप की मेजबानी करनी चाहिए।”
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एजीएम से पहले, बीसीसीआई के सदस्यों को दो पेज का नोट दिया गया था जिसमें क्यू नंबर पर आईसीसी मामलों पर अपडेट और एस नंबर पर टी-20 विश्व कप को लेकर अपडेट की बात लिखी थी।