उत्तर प्रदेश

अवध-लखनऊ के इतिहासकार, पद्मश्री डा. योगेश प्रवीण का निधन

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लखनऊः साहित्यकार और अवध-लखनऊ के इतिहास के विशेष जानकार पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीण (82) का सोमवार को निधन हो गया। सोमवार दोपहर अचानक उनकी डा. प्रवीण की तबियत बिगड़ने पर परिजनों ने जब सरकारी एम्बुलेंस को फोन किया तो दो घंटे तक एम्बुलेंस नहीं पहुंची। इसके बाद जब घर वाले उन्हें बलरामपुर अस्पताल लेकर जा रहे थे तभी रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। डॉ. प्रवीण के देहांत की खबर होने पर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वह दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करें व शोक संतप्त परिवार को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

सहित्यकार पदमश्री डॉ. योगेश प्रवीण के निधन की जानकारी होने व दो घंटे तक एम्बुलेंस न मिलने पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। यूजर्स लखनऊ जिला प्रशासन को डॉ. योगेश प्रवीण के निधन का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डॉ आशुतोष वर्मा पटेल ने ट्वीट कर कहा कि लखनऊ की शान, मशहूर इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीण हम सबके बीच नहीं रहे। उनका परिवार उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दो घंटे तक संघर्ष करता रहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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डॉ. प्रवीण अवध और लखनऊ के इतिहास पर कई किताबें लिख चुके हैं। इसके लिए उन्हें तमाम सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता समेत तमाम विधाओं में लिखने वाले डॉ. योगेश प्रवीण विद्यांत हिन्दू डिग्री कॉलेज से बतौर प्रवक्ता वर्ष 2002 में रिटायर हुए थे। उन्होंने लखनऊ के स्वर्णिम इतिहास को दुनिया के सामने रखा। अपनी पुस्तक लखनऊनामा के जरिये उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों को लखनऊ की रूमानियत, कला, संस्कृति से रूबरू कराया। लखनऊ नामा के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला। डॉ. योगेश प्रवीण लखनऊ के विद्यांत हिन्दू डिग्री कॉलेज के प्रवक्ता भी थे। वर्ष 2002 में वे सेवानिवृत्त हुए थे। उनके लेख देश के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे। पद्मश्री के अलावा उन्हें यश भारती, यूपी रत्न अवॉर्ड, नेशनल टीचर अवॉर्ड सहित कई पुरस्कार व सम्मान मिले। पिछले वर्ष जब उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया तो वे काफी आनंद महसूस कर रहे थे। तब उन्होंने कहा था, ‘‘चलो देर से ही सही, लेकिन पद्म पुरस्कार मिलना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। अब अगली यात्रा पर सुकून से चल सकूंगा।’’