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गणेश महोत्सव का आगाज, गणपति बप्‍पा मोरया के जयकारों के साथ घर-घर विराजे गजानन

Ganesh-Chaturthi

जोधपुरः देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गजानंद गणेश का जन्मोत्सव बुधवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। अनन्त चतुदर्शी तक चलने वाले इस महोत्सव में प्रथम पूज्य का कई तरह से अभिषेक किया जाएगा। शहर के गणेश मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शनार्थ उमड़ रही है। रातानाडा गणेश मंदिर में सुबह पांच बजे महाआरती की गई साथ ही 71 हजार लड्डूओं का भोग उन्हें लगाया गया।

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शहर में आज कोविड के दो साल बाद गणेश महोत्सव को लेकर उत्साह व श्रद्धा फिर चरम पर है। आज गणेश चतुर्थी को लेकर मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। वहीं मंदिर में आने वाले भक्तों को दर्शन में कोई बाधा न हो और खाटू श्यामजी मंदिर की तरह कोई दुर्घटना न घटे, इसलिए मंदिर प्रशासन ने अपने स्तर पर सुरक्षा की विशेष व्यवस्थाएं की है।

गणेश चतुर्थी पर मंगल मूर्ति की मूर्तियां घरों और मंदिरों में स्थापित करने के लिए शहर की सडक़ों और दुकानों पर विघ्न विनायक की मूर्तियां खरीदने के लिए शहर के विभिन्न चौराहों पर लोगों में उत्साह नजर आया। सुबह शुभ मुहूर्त में गणपति की प्रतिमाओं को बिठाया गया। जालोरी गेट चौराहा पर शिवसेना की ओर से मुख्य पंडाल लगाया जा रहा है। शिवसेना शहर प्रमुख रवींद्र शर्मा ने बताया कि तीन फीट ऊंची मिट्टी के गणेश की मूर्ति स्थापित की गई है। इसके अलावा शहर में विभिन्न स्थानों पर मिट्टी व अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां स्थापित की गई।

रातानाडा प्रगट गणेश गणेश चतुर्थी के दिन रातानाडा प्रगट गणेशजी के 71 हजार लड्डुओं का भोग लगाया गया। सुबह पांच बजे आरती हुई और शाम सवा सात बजे महाआरती होगी। श्री मातेश्वरी सेवा संस्थान के अध्यक्ष शैलेंद्र सोनी व मंदिर पुजारी प्रदीप शर्मा, चौपासनी चोखा स्थित हिंगलाज माता मंदिर के महंत सर्वानंद गिरी महाराज के सान्निध्य में रातानाडा गणेश मंदिर में ध्वजारोहण किया किया गया।

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नौ सितंबर को अनंत चतुर्दर्शी पर साल में एक बार होने वाला पंचामृत का अभिषेक होगा। मंदिरों में पॉलीथिन में प्रसाद की अनुमति नहीं होगी। मंदिरों में प्रवेश और निकासी की अलग-अलग व्यवस्था की गइ्र्र है। उछिष्ठ गणेश मंदिर क्रिया का झालरा किला रोड स्थित उचिष्ठ गणेश मंदिर साल में एक बार 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर भक्तों के दर्शनार्थ रात को खुलेगा। रिद्धी-सिद्धी संग विराजित उछिष्ठ गणेशजी के विशेष दर्शन के लिए महिलाओं व पुरुषों की अलग-अलग लाइन की व्यवस्था होगी। निकासी नवग्रह मंदिर के दर्शन और हनुमान मंदिर के दर्शन के साथ होगी।

उदयमंदिर स्थित 153 साल पुराने राजस्थानी वास्तुशैली में निर्मित रसिक बिहारी मंदिर में स्थापित दक्षिणामुखी गणेशजी ब्रह्म मुहूर्त से संध्या आरती के बाद भी भक्तों के दर्शनार्थ व्यवस्था रहेगी। सुबह शुभ मुहूर्त में प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम हुआ। वहीं मंडोर में देवताओं की साळ के पास विराजित लंबोदर के दर्शन सुबह छह बजे दर्शन शुरू हो गए। सुबह से ही भक्तजनों की भीड़ उमड़ती रही। मंदिर में लंबोदर के दर्शन देर शाम तक किए जा सकेंगे।

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