लखनऊः यदि भारतीय संस्कृति पर नजर डाली जाए तो पता चलेगा कि संगीत, साहित्य, चित्रकला तथा नाट्य कला का विकास आध्यात्मिक विकास के साथ ही हुआ है। हमारी संस्कृति में विभिन्न परम्परा के लोग शामिल हैं। ये हमें एक साथ जोड़कर लोगों में प्रेम बांटना सिखाती है। उक्त उद्गार बीते दिनों राजभवन के गांधी सभागार में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सम्मानों से 18 विद्वानों को अलंकृत करते हुए व्यक्त किए। सम्मान समारोह के अवसर पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्रियों और अधिकारियों की उपस्थिति में सांस्कृतिक अनुबंध भी हुआ।
इसके अंतर्गत यूपी के लोक कलाकारों की टोली ने ढेढिया नृत्य की मनोहारी झलक दिखाई, तो मध्य प्रदेश के लोक नर्तकों ने जोश भरे गुदुमबाजा लोकनृत्य की जोश भरी प्रस्तुति की ऐसी छाप छोड़ी कि यूपी के तमाम युवाओं ने अपने भविष्य में ऐसी कला समेटने की इच्छा जताई। अनुबंध के हिसाब से ’एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के तहत की जाने वाली गतिविधियों में मध्यप्रदेश की लोक संस्कृति के दल उत्तर प्रदेश दिवस यानी 24 जनवरी और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के बीच प्रदर्शन करेंगे। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश की लोक टोलियां मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य प्रस्तुत करेंगी।
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इसके साथ ही दोनों भागीदार राज्यों के बीच नाटक, रंगमंच, प्रदर्शनी, संगोष्ठियों और सांस्कृतिक विरासत से संबंधित कला प्रतियोगिताओं आदि के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रगाढ़ किया जाएगा। दोनों प्रदेश समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाजों, परंपराओं आदि की जानकारी वाली पुस्तक तैयार की जाएगी। राज्यपाल ने अनेक राज्यों की लोक संस्कृति के प्रदेश में हुए आयोजनों का जिक्र करते हुए उम्मीद जाहिर की है कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच एक-दूसरे राज्य की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया गया यह समझौता सांस्कृतिक सम्बंधों को प्रगाढ़ बनाएगा।
इन विभूतियों को किया गया सम्मानित
समारोह में कथक गुरु डॉ. पूर्णिमा पाण्डे, उपशास्त्रीय व सुगम संगीत गायक युगांतर सिंदूर, रंगमंच समीक्षा के लिए श्रद्वेय कुंवरजी अग्रवाल की जगह उनके पुत्र को और लोकगायन के लिए उर्मिला श्रीवास्तव को अकादमी की रत्न सदस्यता से अलंकृत किया। बीएम शाह पुरस्कार निर्माता निर्देशक व अभिनेताडॉ चन्द्रप्रकाश द्विवेदी को और सफदर हाशमी पुरस्कार मुम्बई के विपुलकृष्ण नागर को प्रदान किया। अकादमी पुरस्कार से वाराणसी के महंत प्रो. विशम्भरनाथ मिश्र वडॉ अनन्त नारायण सिंह को संयुक्त रूप से संगीत कला उन्नयन, बरेली केडॉ बृजेश्वर सिंह को नाट्य कला उन्नयन, गोरखपुर केडॉ शरदमणि त्रिपाठी को शास्त्रीय गायन, गौतमबुद्धनगर के ब्रह्मपाल नागर को रागिनी लोकगायन, लखनऊ के पं. रामेश्वर प्रसाद मिश्र को शास्त्रीय गायन, वाराणसी के युवा नर्तक विशाल कृष्णा को कथक नृत्य, महोबा के भूरा यादव राकेश को राई लोकनृत्य, लखनऊ के रंगकर्मी अनिल मिश्रा गुरुजी को नाट्य निर्देशन, वाराणसी के रंगकर्मी अष्टभुजा मिश्र को नौटंकी अभिनय व निर्देशन, वाराणसी के पं. विनोद लेले को तबला वादन और शहनाई वादन के लिए वाराणसी के ही फतेह अली खां की उनुपस्थिति में उनके भाई को सम्मानित किया।
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