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भगवान की रोजाना आरती से घर में बढ़ता है सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव

नई दिल्लीः हिंदू धर्म में किसी भी पूजा के अंत में भगवान की आरती अवश्य की जाती है। जब तक आरती न हो पूजा अधूरी ही समझी जाती है। आरती के दौरान हम भगवान की वंदना और स्तुति करते हैं। आरती के समय बजने वाली घंटी और शंख की आवाज से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। भगवान की आरती उतारते समय हमेशा घी और कपूर का इस्तेमाल होता है। कपूर की खुशबू से घर का माहौल उत्साह से भरा हुआ हो जाता है।

रोजाना पूजा के पश्चात भगवान की आरती उतारने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। पूजा के समय आरती करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए। पूजा करते वक्त आरती की थाली हमेशा साफ-सुथरी होनी चाहिए। आरती की थाली में प्रसाद, कपूर, रोली, अक्षत, फूल, धूप और दीप अवश्य होनी चाहिए। आरती की थाली यदि पीतल या चांदी की हो तो शुभकारी माना जाता है। क्योंकि पूजा करते समय किसी भी तरह के लोहा, स्टील के बर्तनों का उपयोग नही करना चाहिए। आरती करते समय दीपक को घुमाने और उसकी संख्या का विशेष ध्यान देना चाहिए। आरती हमेशा भगवान के चरणों की तरफ से शुरू करनी चाहिए।

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हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान की पांच बार आरती करने के बारे में बताया गया है। सबसे पहली आरती प्रातःकाल भगवान को जगाने के लिए की जाती है। दूसरी आरती भगवान को स्नान कराने के बाद और तीसरी आरती नजर उतारने के लिए होती है। इसी तरह चौथी आरती संध्याकाल के समय होती है और पांचवीं भगवान के शयन के समय की जाती है। इन पांचों आरती के लिए यदि आपके पास समय न हो तो प्रातःकाल और संध्याकाल के समय भगवान की पूजा के पश्चात आरती अवश्य करें। इससे घर सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है और धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।