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EOW ने ठगी के मामले में दंपत्ति को किया गिरफ्तार, एक ही प्रॉपर्टी कई लोगों…

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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने धोखाधड़ी के आरोप में एक ऐसे दंपत्ति को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने अपनी एक ही प्रॉपर्टी को दो अलग-अलग लोगों को बेच दी। आरोपितों की पहचान मीनल संजीव देसाई और संजीव देसाई के रूप में हुई है। यह दिल्ली के सुंदर नगर इलाके के रहने वाले हैं।

ईओडब्ल्यू के डीसीपी रवि कुमार सिंह ने शनिवार को बताया कि ईओडब्ल्यू पुलिस टीम को दी गई शिकायत में शिकायतकर्ता दीपक भंडारी ने बताया कि उन्होंने जसोला के हायरार्किकल कॉमर्शियल सेंटर स्थित प्लॉट नम्बर-8 के एलिगेंस टावर में 161.24 स्क्वायर मीटर एरिया दो करोड़ चार लाख रुपये में 20 जून 2018 के सेल एग्रीमेंट के माध्यम से मीनल संजीव देसाई से खरीदा था, जिसके गवाह उनके पति संजीव देसाई थे।

उन्होंने इस प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के विवाद से मुक्त होने का दावा करते हुए उन्हें वो प्रॉपर्टी बेची थी। जिसके बाद शिकायतकर्ता ने उस प्रॉपर्टी को 31 जुलाई 2018 को जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ को 9 सालों के लीज पर दे दिया। 28 अक्टूबर 2020 को साकेत कोर्ट के कुछ अधिकारियों के साथ एक प्रमोद गुप्ता नाम के व्यक्ति ने उक्त प्रॉपर्टी में पहुंचे और उन्होंने वहां रखे सारे सामानों को हटा कर 29 मई 2019 को साकेत कोर्ट द्वारा, प्रमोद गुप्ता और मीनल संजीव देसाई के सिविल सूट में प्राप्त डिक्री का हवाला देते हुए अपना कब्जा जमा लिया।

जिसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि उन्हें उक्त प्रॉपर्टी को बेचने से बहुत पहले पांच अक्टूबर 2015 में आरोपितों ने उक्त प्रॉपर्टी को बेचने के लिए प्रमोद गुप्ता के साथ सेल एग्रीमेंट बनाया था, लेकिन उन्होंने ना तो सेल डीड निष्पादित किया और ना ही उनके पैसे वापस लौटाए और प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा बनाये रखा। जिसे बाद में शिकायतकर्ता को बेच दिया गया।

इस मामले में शुरुआती जांच में बाद 20 जनवरी 2021 में मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू पुलिस टीम ने जांच शुरू की। इस मामले में एसीपी वीरेंद्र कादयान की देखरेख में एक टीम का गठन कर आरोपितों को पकड़ने का काम सौंपा गया। पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपितों ने एक ही संपत्ति को 2015 और 2018 में दो अलग-अलग खरीदारों को बेचा। आरोपितों ने पहले खरीदार को कब्जा नहीं दिया था, जिसके बाद पहले खरीदार, प्रमोद गुप्ता ने उनके बीच बने सेल एग्रीमेंट के आधार पर सिविल केस दर्ज कराया। केस चलने के दौरान आरोपितों ने उक्त संपत्ति को 2018 में दूसरे खरीदार, दीपक भंडारी को बेच दिया। जबकि उन्हें इस संपत्ति के किसी भी विवाद से मुक्त होने का दावा किया गया था।

बाद में आरोपितों में केस हारने के बाद कोर्ट ने पहले खरीदार के पक्ष में डिक्री देते हुए, उनके कब्जे का आदेश दिया। जबकि उस समय वो संपत्ति शिकायतकर्ता के कब्जे में थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू पुलिस ने दोनों आरोपियों को सुंदर नगर स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

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